बहुचर्चित कानपुर एनकाउंटर केस में मार गिराए गए विकास दुबे की पत्नी रिचा दुबे पर पुलिस का शिकंजा कसने लगा है। सूत्रों के मुताबिक रिचा दुबे को कभी भी गिरफ्तार किया जा सकता है। रिचा के खिलाफ फर्जी आईडी पर सिम लेने का आरोप है। इस मामले में उसके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हुई थी। कोर्ट ने रिचा की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। अब माना जा रहा है कि जल्द ही उसे इस मामले में गिरफ्तार किया जा सकता है।
विकास दुबे के खास सहयोगी गुड्डन त्रिवेदी की पत्नी कंचन की भी अग्रिम जमानत खारिज इस मामले में खारिज हो चुकी है। दरअसल, कानपुर एनकाउंटर केस की जांच कर रही एसआईटी ने रिचा दुबे द्वारा फर्जी आधार कार्ड पर सिम लिए जाने का खुलासा किया था। रिचा इस सिम का इस्तेमाल खुद कर रही थीं। इस खुलासे के बाद कानपुर के चौबेपुर थाने में उनके खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया। अपने खिलाफ एफआईआर दर्ज होने पर रिचा ने जिला जज की अदालत में चार्जशीट लगने तक अग्रिम जमानत देने की याचिका दाखिल की थी। यह याचिका अदालत ने खारिज कर दी।
फर्जी दस्तावेजों पर बना था जय बाजपेई का पासपोर्ट
बिकरू कांड की एसआईटी जांच में पता चला था कि कुख्यात विकास दुबे की पत्नी समेत उसके रिश्तेदारों व परिचितों ने फर्जी दस्तावेजों पर सिम लिए थे। एसआईटी की इसी जांच रिपोर्ट के आधार पर जिला प्रशासन ने पुलिस को इन सभी पर केस दर्ज करने के आदेश दिए थे।
जांच में यह भी पता चला था कि जय बाजपेई का पासपोर्ट फर्जी दस्तावेजों पर बनवाया गया था। जांच में खुलासा हुआ है कि विकास दुबे की पत्नी रिचा, मोनू, अरविंद त्रिवेदी, राजू वाजपेयी, विष्णु पाल, दीपक, शिव तिवारी, शांति देवी, खुशी, रेखा ने फर्जी आईडी पर सिम ले रखे थे।
पुलिस ने जब इनके मोबाइल नंबरों का ब्योरा निकाला तब ये तथ्य सामने आए। वहीं जय बाजपेई के पासपोर्ट के बारे में पता चला कि आपराधिक इतिहास छिपाने के लिए जय ने फर्जी वोटर आईडी कार्ड पर पासपोर्ट बनवाया था। पता भी दूसरा डाला था।
एनकाउंटर में आठ पुलिस कर्मी हुए थे शहीद
बता दें कि दो जुलाई की रात को बिकरू गांव में विकास दुबे के घर दबिश देने पहुंची पुलिस की टीम पर घात लगाकर बैठे बदमाशों ने हमला कर दिया था। जिसमें सीओ देवेंद्र मिश्रा सहित आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। यूपी एसटीएफ ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए विकास दुबे सहित उसके पांच साथियों को मुठभेड़ में मार गिराया था।
बिकरू कांड में पुलिस ने करीब तीन महीने बाद माती कोर्ट में 36 आरोपियों के खिलाफ करीब 1700 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी। इस मामले में दो आरोपी अभी फरार हैं। विकास दुबे समेत छह बदमाश मारे जा चुके हैं। चार्जशीट के मुताबिक घटना को साजिश के तहत अंजाम दिया गया था। दहशतगर्द विकास को पुलिसकर्मियों ने तहरीर पहुंचने से लेकर दबिश रवाना होने तक की जानकारी दी थी।