नए कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर किसानों का विरोध प्रदर्शन आज 15वें दिन भी जारी है। सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर चुके किसान अपनी मांगों को लेकर किसी भी सूरत में झुकने को तैयार नहीं हैं। किसानों ने सरकार से जल्द उनकी मांगे मानने की अपील की है। किसानों को आशंका है कि इन कानूनों के कारण न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) समाप्त हो जाएगा।
एक किसान ने कहा कि सरकार अब भी लोगों की बात सुनने के लिए तैयार नहीं है। लोगों के ऊपर क्या प्रभाव पड़ रहा है, उन्हें क्या दिक्कतें आ रही हैं, उस पर सरकार थोड़ा भी ध्यान नहीं दे रही है। सरकार जानबूझकर अड़ी हुई है।
भारतीय किसान यूनियन के नेता मंजीत सिंह ने कहा कि सरकार की मंशा किसानों के आंदोलन को कमजोर करने की है, लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे। जल्द ही कई और किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए दिल्ली आ रहे हैं।जानकारी के अनुसार, सिंघु बॉर्डर पर डटे किसानों ने बुधवार को केंद्र सरकार की ओर से भेजे गए एक प्रस्ताव को पूरी तरह से खारिज कर दिया। किसानों ने ऐलान किया कि पूरे देश में रोज प्रदर्शन होंगे। पंजाब, हरियाणा, यूपी, राजस्थान और मध्य प्रदेश में 14 तारीख को धरने दिए जाएंगे, जो धरने में शामिल नहीं होगा वो दिल्ली की ओर कूच करेगा। 12 तारीख को जयपुर-दिल्ली हाईवे रोका जाएगा और 12 तारीख को एक दिन के लिए पूरे देश के टोल प्लाजा फ्री कर दिए जाएंगे।
बता दें कि किसान हाल ही बनाए गए तीन नए कृषि कानूनों – द प्रोड्यूसर्स ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्ट, 2020, द फार्मर्स ( एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज एक्ट, 2020 और द एसेंशियल कमोडिटीज (एमेंडमेंट) एक्ट, 2020 का विरोध कर रहे हैं।
गौरतलब है कि केंद्र और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच वार्ता के बेनतीजा रहने के बाद हजारों किसान नए कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की मांग के साथ गुरुवार को 15वें दिन भी दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर डटे हुए हैं। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा मंगलवार रात को बुलाई गई बैठक में कोई समाधान नहीं निकल सका था। कृषि कानूनों में संशोधन करने के सरकार के प्रस्ताव को ठुकराने वाले किसान नेताओं ने कहा कि कानून निरस्त करने से कम उन्हें कुछ भी मंजूर नहीं है।