मध्य प्रदेश के उज्जैन में पुलिस ने हेल्थ डिपार्टमेंट के चतुर्थ श्रेणी के एक कर्मचारी समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया है। इसमें से दो कॉन्स्टेबल भी हैं। इनमें से एक ने रेप के आरोपी को डॉक्टर को किसी अन्य शख्स को डीएनए सैंपल देने की सलाह दी थी।
उज्जैन के एसपी सत्येंद्र शुक्ला ने बताया कि जिन चारों आरोपियों को गिरफ्तार किया है, उनमें चतुर्थ श्रेणी का कर्मचारी जगदीश कुमार, महिला पुलिस थाने में कार्यरत कॉन्स्टेबल तबरेज खान, नीलगंगा पुलिस थाने का कॉन्स्टेबल घनश्याम और मुख्य आरोपी का कजिन भाई बलराम सूर्यवंशी है। इन सभी पर पुलिस ने डीएनए टेस्ट के लिए पुलिस लाइन में कॉन्स्टेबल के रूप में तैनात मुख्य आरोपी अजय एस्टे के शुक्राणु और रक्त के नमूने को बदलने के लिए झूठे सबूत गढ़ने और आपराधिक साजिश रचने का आरोप लगाया है।
एसपी शुक्ला ने कहा, ”नीलगंगा पुलिस द्वारा 5 दिसंबर को अजय एस्टे को गिरफ्तार करने के बाद, जगदीश कुमार ने उससे संपर्क किया और योजना बनाई। जगदीश ने उसे एक व्यक्ति की व्यवस्था करने को कहा जो नमूना देते समय अस्पताल में एस्टे के रूप में जा सके। कॉन्स्टेबल घनश्याम की मदद से एस्टे ने अपने चचेरे भाई बलराम सूर्यवंशी और उसके दोस्त कॉन्स्टेबल तबरेज से संपर्क किया।”
उन्होंने आगे कहा, “एक सब-इंस्पेक्टर हेमलता और कॉन्स्टेबल घनश्याम रविवार को डीएनए टेस्ट के लिए एस्टे को जिला अस्पताल ले गए। तबरेज और बलराम भी अस्पताल पहुंचे। जब ऑन-ड्यूटी डॉ. एच दिवाकर ने एस्टे को सैंपल के लिए बुलाया, तो जगदीश ने डीएनए टेस्ट के लिए अपना सैंपल देने के लिए कॉन्स्टेबल घनश्याम के साथ बलराम को जाने के लिए कहा।”
डॉक्टर ने एस्टे के बारे में जानकारी मांगी तो बलराम घबरा गया। डॉक्टर ने हेमलता को बुलाया, जो एस्टे के साथ बाहर बैठी थी, और उसे बताया कि एस्टे उसे सपोर्ट नहीं कर रहा है। जब हेमलता ने पूछा कि जब एस्टे उसके साथ बाहर बैठा हुआ है तो फिर नमूना कौन दे रहा था। डॉक्टर ने बलराम को इशारा किया। डॉक्टर और हेमलता ने एसपी को सूचित करके पूरी जानकारी दी।
इसके बाद जब पुलिस ने बलराम से पूछताछ की तो उसने अपना क्राइम स्वीकार कर लिया और तबरेज, घनश्याम और जगदीश का नाम लिया। पुलिस ने सभी चारों आरोपियों को कोर्ट के सामने पेश किया है, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।