कानपुर के बहुचर्चित संजीत यादव हत्याकांड को लेकर शुरुआत से ही उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भाजपा सरकार को घेरने में जुटे हुए हैं। बुधवार दोपहर 2:40 पर अखिलेश संजीत के परिवार वालों से मिलने के लिए पहुंचे। 15 मिनट रुकने के बाद वे मीडिया से मुखातिब हुए बिना ही लौट गए। हालांकि उनके आने से पूर्व बातचीत पर पता चला कि सपा कार्यकर्ता यह भी अंदाजा लगा रहे थे कि अखिलेश के आने से विधानसभा क्षेत्र में सपा का वर्चस्व बढ़ेगा, चूंकि संजीत का घर गोविंद नगर विधानसभा क्षेत्र में आता है।
ज्यादा भीड़ इकट्ठा न हो, इसके लिए पुलिस संजीत के घर को जाने वाली तीन गलियों में बैरीकेडिंग लगाकर जाम कर दिया था। सिर्फ बर्रा पांच सब्जी मंडी से अखिलेश यादव का काफिला संजीत के घर के लिए आया। इसके बाद अखिलेश दिवंगत संजीत के परिवार वालों से मिले।
अखिलेश से पहले एसपी साउथ दीपक भूकर दोपहर करीब 12:30 बजे संजीत के पिता चमन यादव से मिले। इस दौरान उन्होंने कहा कि पुलिस आरोपियों को सजा दिलवाने के लिए पूरी कोशिश कर रही है। अभी जांच खत्म नहीं हुई है, टीमें लगातार साक्ष्य जुटाने में लगी हैं। इसके बाद एसपी ने सुरक्षा व्यवस्था को लेकर बर्रा थाना प्रभारी हरमीत सिंह से जानकारी ली।
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पहुंचे तो कार्यकर्ताओं ने जोरों से नारेबाजी की। इस दौरान उन्होंने दिवंगत संजीत के माता-पिता को आश्वस्त किया कि जब सपा की सरकार आएगी तो संजीत प्रकरण की सीबीआई जांच कराई जाएगी। किसी भी हालत में दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। अखिलेश ने कहा कि वे संजीत को न्याय दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
पुलिस के कहने पर दी गई फिरौती, लेकिन नहीं मिले संजीत
कानपुर के बर्रा से 22 जून को लैब टेक्नीशियन संजीत यादव (28) का अपहरण फिरौती के लिए उसके दोस्त ने साथियों के साथ मिलकर किया था। 26 जून को उसकी हत्या कर लाश पांडु नदी में फेंक दी थी। 13 जुलाई को 30 लाख की फिरौती भी वसूल ली थी।
पुलिस ने मामले का खुलासा करते हुए दोस्त कुलदीप, रामबाबू समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने बताया कि कुलदीप संजीत के साथ सैंपल कलेक्शन का काम करता था। उसने रतनलाल नगर में किराये पर कमरा ले रखा था। 22 जून की रात शराब पिलाने के बहाने वह संजीत को अपने कमरे में लाया था।
इसके बाद उसे बंधक बना लिया था। चार दिन तक बेहोशी के इंजेक्शन देकर उसे बंधक बनाकर रखा था। इसके बाद 26 जून को कुलदीप ने अपने दोस्त रामबाबू और तीन अन्य के साथ मिलकर संजीत की हत्या कर दी थी। इसके बाद कुलदीप शव को अपनी कार में रखकर पांडु नदी में फेंक आया था। तीन दिन बाद 29 जून की शाम को संजीत के पिता चमन सिंह यादव को फोन कर फिरौती मांगी गई थी। परिजनों ने पुलिस के कहने पर मकान, जेवर बादि बेचकर जैसे तैसे 30 लाख रुपयों की व्यवस्था की थी और 13 जुलाई को अपहर्ताओं के सौंप दिए थे लेकिन पुलिस अपहर्ताओं को नहीं पकड़ पाई और वे 30 लाख लेकर भाग निकले थे।