किसान आंदोलन के समर्थन में कन्नौज में प्रस्तावित किसान मार्च में शामिल होने से रोके जाने से खफा होकर धरने पर बैठे समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव को लखनऊ पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। उन पर धारा 144 का उल्लघंन करने का आरोप है। अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि कृषि कानून का विरोध कर रहे किसानों की आवाज को भाजपा सरकार दबा नहीं सकती। उनकी पार्टी काले कानून की वापसी की मांग कर रहे अन्नदाताओं के समर्थन में डटी रहेगी।
बता दें कि सपा अध्यक्ष ने रविवार को घोषणा की थी कि उनकी पार्टी कृषि कानून को वापस लेने के किसान संगठनो की मांग का समर्थन करती है और इसके लिये सोमवार से राज्य भर में किसान यात्रायें आयोजित की जायेंगी। उन्होने खुद सोमवार को कन्नौज में आयोजित किसान यात्रा में भाग लेने का ऐलान किया था। सपा अध्यक्ष की घोषणा के बाद सतर्क जिला प्रशासन ने कोविड प्रोटोकाल का हवाला देते हुये सपा कार्यालय और पूर्व मुख्यमंत्री के आवास के बाहर बेरीकेडिंग लगाकर पुलिस बल तैनात कर दिया था। दिन बढ़ने के साथ सपा कार्यकतार्ओं और नेताओं का जमावड़ा सड़कों पर बढ़ने लगा। कुछ नेताओं ने सपा प्रमुख के आवास में जाने का प्रयास किया जिन्हे पुलिस ने रोक दिया। उधर सपा अध्यक्ष की गाड़ी और सुरक्षाकर्मियों को भी आवास में जाने से रोक दिया गया। इसके बाद सपा अध्यक्ष सड़क पर आ गए और बंदरियाबाग में सड़क पर धरने पर बैठ गए। उन्होनें कहा कि पुलिस चाहे तो उन्हे गिरफ्तार कर सकती है। अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि सरकार किसानों की आवाज को दबाना चाहती है। भाजपा जुलूस निकाले तो कोविड प्रोटोकाल का उल्लघंन नहीं होता है और अगर किसान आंदोलन करता है तो तमाम नियमो का हवाला दिया जाता है। उन्हाेंंने कहा कि उनके कई कार्यकतार्ओं और नेताओं को पुलिस ने हिरासत में लिया है लेकिन उनकी पार्टी किसानों की जमीन और फसल को लीलने वाले काले कानून की वापसी तक किसानो के साथ संघर्ष करती रहेगी। चाहे इसके लिये उन्हे कोई भी कुबार्नी क्यों न देनी पड़े।