मध्यप्रदेश सरकार कथित ‘लव जिहाद’ रोकने के संबंध में मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2020 लाने वाली है। वहीं मध्य प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वी.डी. शर्मा ने कहा है कि देश में जिस तरह की परिस्थितियां बनीं, उसमें प्यार करने का अधिकार सबको है लेकिन लव जिहाद करने का अधिकार किसी को नहीं है। मध्य प्रदेश धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम 2020 में विवाह के नाम पर धर्म परिवर्तन के लिए कड़े प्रावधान किए गए हैं।
वहीं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को कहा है कि प्रदेश में कोई भी व्यक्ति अब किसी को बहला-फुसलाकर, डरा-धमका कर विवाह के माध्यम से अथवा अन्य किसी कपटपूर्ण तरीके से प्रत्यक्ष अथवा अन्यथा धर्म परिवर्तन नहीं करा पाएगा। ऐसा प्रयास करने वाले व्यक्ति के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि प्रदेश में कोई भी व्यक्ति अब किसी को बहला-फुसलाकर, डरा-धमका कर विवाह के माध्यम से अथवा अन्य किसी कपटपूर्ण तरीके से प्रत्यक्ष अथवा अन्यथा धर्म परिवर्तन नहीं करा पाएगा। प्रदेश सरकार इस संबंध में कानून लाने जा रही है। प्रस्तावित अधिनियम के अंतर्गत किसी व्यक्ति द्वारा धर्म परिवर्तन कराने संबंधी प्रयास किए जाने पर प्रभावित व्यक्ति स्वयं, उसके माता-पिता अथवा रिश्तेदार इसके विरुद्ध शिकायत कर सकेंगे। यह अपराध संज्ञेय, गैर जमानती तथा सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय होगा। उप पुलिस निरीक्षक से कम श्रेणी का पुलिस अधिकारी इसका अन्वेषण नहीं कर सकेगा। धर्मान्तरण नहीं किया गया है यह साबित करने की जिम्मेदारी अभियुक्त की होगी।
मध्य प्रदेश में लव जिहाद पर होगी कितनी सजा
प्रस्तावित अधिनियम में जो विवाह धर्म परिवर्तन की नियत से किया गया होगा वह अकृत एवं शून्य होगा। इस प्रयोजन के लिए कुटुम्ब न्यायालय अथवा कुटुम्ब न्यायालय की अधिकारिता में आवेदन करना होगा। किसी भी व्यक्ति द्वारा अधिनियम की धारा-3 का उल्लंघन करने पर एक वर्ष से पांच वर्ष का कारावास व कम से कम 25 हजार रुपये का अर्थदंड लगेगा। नाबालिग, महिला, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के प्रकरण में दो से 10 वर्ष के कारावास तथा कम से कम 50 हजार रुपये का जुर्माना प्रस्तावित किया गया है। इसी प्रकार अपना धर्म छुपाकर ऐसा प्रयास करने पर तीन वर्ष से 10 वर्ष का कारावास एवं कम से कम 50 हजार रुपये अर्थदण्ड होगा। सामूहिक धर्म परिवर्तन (दो या अधिक व्यक्ति का) का प्रयास करने पर पांच से 10 वर्ष के कारावास एवं कम से कम एक लाख रुपये के अर्थदण्ड का प्रावधान किया जा रहा है।