झारखंड के जामताड़ा से साइबर ठग रिटायर्ड पुलिसकर्मियों को फंसाने के लिए जाल फेंक रहे हैं। अक्तूबर-नवंबर में रिटायर्ड 41 पुलिसकर्मियों को साइबर ठगी के चक्रव्यूह में फंसाने की कोशिश हुई, इनमें चार फंस भी गए। मामला साइबर सेल पहुंचा तो ठगी के खेल का खुलासा हुआ। रेंज टीम साइबर अपराधियों को पकड़ने के लिए झारखंड जाएगी।
गत माह लोकल इंटेलीजेंस यूनिट (एलआईयू) से रिटायर्ड एचसीपी को ठगने वाले गिरोह ने इस माह सेवानिवृत फायर सर्विसकर्मी किशन लाल को निशाना बना डाला। रिटायरमेंट पर मिली रकम उनके खाते से साफ कर दी। पीड़ित ने रेंज साइबर सेल में शिकायत की। जांच में पता चला कि गिरोह ने चंद दिनों में 41 पुलिस पेंशनर्स को फोन किए। संयोग से अधिकांश पुलिसकर्मी झांसे में नहीं आए। मगर चार के बैंक खातों से जीवनभर की जमा पूंजी साफ हो गई। इंस्पेक्टर शैलेष कुमार सिंह ने बताया कि जिस नंबर से पुलिसकर्मियों के पास फोन आया था। उसकी लोकेशन जामताड़ा, झारखंड की मिली है। साइबर सेल ने सिद्धार्थ नगर और सहारनपुर में पुलिसकर्मियों के साथ हुई ठगी की रकम की भी जानकारी मांगी है। ए सतीश गणेश,आईजी रेंज, आगरा ने बताया कि पुलिसकर्मियों के साथ साइबर अपराध की घटनाओं के बाद सतर्कता के लिए गाइडलाइन जारी की गई है। ताकि सेवानिवृत हो रहे सभी पुलिसकर्मियों को उसकी जानकारी दी जा सके। गिरोह के बारे में रेंज साइबर सेल टीम छानबीन कर रही है।
यूं फेंका जाल
साइबर अपराधियों ने रिटायर्ड पुलिसकर्मियों पर ट्रेजरी कर्मचारी बनकर फोन किया। ट्रेजरी अफसर बोल रहे हैं, यह बताते हुए पेंशन ट्रांसफर कराने के बैंक खाते के डिटेल मांगे। साथ ही मोबाइल पर आने वाला ओटीपी बताने को कहा। जैसे ही पुलिसकर्मियों ने ओटीपी बताया उनके बैंक खातों से सेवानिवृत्ति पर मिली रकम साफ कर दी गई।
कहां से मिले नाम-नंबर
साइबर अपराधी चुन-चुनकर उन पुलिसकर्मियों को फोन कर रहे हैं जिनकी सेवानिवृति अक्तूबर, नवंबर में हुई। सवाल है कि उनके पास पुलिस पेंशनर्स के नाम और नंबर कहां से आए। आशंका है कि शातिरों ने किसी साइट को हेक किया है। साइबर सेल छानबीन में जुटी है।
फायर सर्विसकर्मी के खाते से 27 लाख पार
30 नवंबर को फायर सर्विस से रिटायर्ड किशन लाल को सेवानिवृत्ति पर 27 लाख रुपये मिले। एक दिसंबर को उनके पास फोन आया। उनसे ओटीपी पूछा, फिर चंद मिनट बाद उनके खाते से 27 लाख रुपये साफ हो गए। फिरोजाबाद के सुहागनगर निवासी किशनलाल की शिकायत पर रेंज साइबर सेल जांच कर रही है। छानबीन में पता चला है कि किशनलाल और नाहर सिंह को ठगने का गिरोह एक ही है।
पांच प्रदेशों के खातों में घुमाते ठगी रकम
साइबर सेल की छानबीन में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। ठगी की रकम अपराधी एक खाते में ट्रांसफर नहीं करते। नाहर सिंह से 96 हजार रुपये की ठगी के मामले में खुलासा हुआ है कि ठगों ने पहले यह रकम एक वॉलेट में भेजी। वहां से झारखंड की बैंक में ट्रांसफर हुई। फिर पश्चिमी बंगाल उसके बाद पटियाला। वहां से अहमदाबाद और दोबारा झारखंड के एक खाते में पहुंच गई।