चुनाव संपन्न होने के बाद राज्य में नई सरकार का गठन हो चुका है लेकिन, चुनावी कार्य में लगे वाहनों के मालिकों को अब तक वाहन किराया नहीं मिल सका है। परिवहन विभाग के आदेश के बावजूद जिलों की ओर से इन वाहन मालिकों को पैसे नहीं दिए गए। इस कारण आज भी वाहन मालिक बकाए पैसे को लेकर अधिकारियों के दरवाजे पर आने के लिए विवश हैं।
इस चुनाव में पूरे बिहार में 1.5 लाख से अधिक गाड़ियों का उपयोग हुआ। एसी-नॉन एसी, छोटे-बड़े वाहनों के अनुसार गाड़ियों का किराया तय किया गया था। गाड़ियों की जब्ती के साथ ही परिवहन विभाग ने वाहनों का दैनिक किराए के अलावा तेल का पैसा भी अलग से देने का आदेश दिया था। ड्राइवरों को खाने-पीने की राशि भी अलग से हर रोज देनी थी। इसके लिए हरेक जिले में बने वाहन कोषांग के अधिकारियों को जिम्मेवारी दी गई। विभाग ने दो टूक कहा था कि किसी भी कीमत पर चुनावी कार्य में बाधा उत्पन्न नहीं होना चाहिए। इसलिए गाड़ी जब्ती प्रक्रिया में किसी तरह के नियम के खिलाफ काम न किए जाएं।
विभाग ने कहा, समय पर पैसा भुगतान कर दिया जाए
विभाग ने कहा था कि जैसे-जैसे चुनाव समाप्त होते जाएं, वाहन मालिकों का किराया भुगतान भी कर दिया जाए। खासकर वैसी गाड़ियां जिन्हें चुनावी कार्य से मुक्त कर दिया गया है, उसका भुगतान किसी भी कीमत में न रोका जाए। जैसे ही चुनावी मतगणना हो जाए, उसके बाद सभी वाहन मालिकों को वाहन किराया दे दिया जाए। विभाग का यह आदेश जिलों में पालन नहीं हुआ। अन्य जिलों की कौन कहे, पटना में ही अभी सैकड़ों वाहन मालिकों को चुनावी कार्य का पैसा नहीं मिल सका है। परिवहन विभाग ने एक बार फिर जिलों को कहा है कि वह चुनावी कार्य में लगे वाहन मालिकों को अविलंब किराया भुगतान कर दे। चूंकि अगले साल पंचायत चुनाव भी होने है। ऐसे में भविष्य में भी वाहन मालिक अपनी गाड़ी देने में आनाकानी नहीं करें, इसके लिए यह जरूरी है कि सबों को समय पर पैसा भुगतान कर दिया जाए।