राजधानी दिल्ली में मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना लागू करने के खिलाफ दाखिल याचिका पर उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। न्यायालय ने दोनों सरकारों के अलावा दिल्ली राज्य नागरिक आपूर्ति निगम (डीएससीएससी) को भी नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना के तहत पैक किया गया राशन योग्य लोगों के घरों तक पहुंचाने का प्रावधान है।
जस्टिस हीमा कोहली और एस. प्रसाद की पीठ ने जन वितरण प्रणाली तहत सस्ती दरों पर आनाज मुहैया कराने वाली दुकानों के डीलरों के संगठन की ओर से दाखिल याचिका पर यह आदेश दिया है। दिल्ली सरकारी राशन डीलर संघ ने याचिका में लोगों के घरों तक राशन पहुंचाने के दिल्ली सरकार की योजना के लिए आवश्यक कानूनों ‘राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून- 2013 और दिल्ली विशिष्ट सामग्री (वितरण का विनियमन) आदेश-1981 में संशोधन नहीं किया गया है और इस योजना में ऐसे दूकानदारों की अनदेखी की गई है।
याचिका में इस योजना के तहत पैकेटबंद गेहूं और चावल के परिवहन, प्रसंस्करण, पैकेजिंग और वितरण के लिए जारी निविदा रद्द किए जाने की मांग की है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता पुनीत जैन न्यायालय से सरकार को इस योजना लागू नहीं करने का आदेश देने की मांग की है।
याचिका में कहा गया है कि यह संविधान के तहत प्रदत्त उनके मौलिक अधिकारों का हनन है। दिल्ली सरकार ने इसी साल 21 जुलाई को योजना की घोषणा की थी जिसके तहत पात्र लाभार्थियों को उनके घरों पर गेहूं, आटा, चावल और चीनी का पहुंचाने का प्रावधान किया गया है।