कोरोनायरस महामारी के कारण काफी लंबे समय से स्कूल बंद हैं और बच्चों को ऑनलाइन लर्निंग के सहारे पढ़ाई करनी पड़ रही है। अब स्कूलों को खोलने के लिए कई तरह के सुरक्षा संबंधी इंतजामों को लेकर कवायद की जा रही है। अब स्कूल में बच्चों को शुद्ध हवा के एक अनोखे बॉक्स में लगे मास्क से सांस लेने के लिए साफ हवा मिलेगी। यह अनोखी प्रणाली स्पेन के विशेषज्ञों ने विकसित की है।
हर सीट के पास लगाया जाएगा ट्यूब का नेटवर्क
स्पेन के विशेषज्ञों द्वारा विकसित की गई इस प्रणाली में हर सीट के पास एक ट्यूब का नेटवर्क लगाया जाएगा जो शुद्ध हवा सप्लाई करने वाले एक बॉक्स से जाकर जुड़ेगा। एक केंद्रीय पंप की मदद से शुद्ध और स्वच्छ हवा , जो कोरोनावायरस से रहित होगी को हर बॉक्स में भेजा जाएगा। इस बॉक्स में जुड़े ट्यूब में मास्क लगे होंगे जिसकी मदद से बच्चे अपनी सीट पर आराम से बैठकर सांस ले सकेंगे।
गंदी हवा को बाहर निकालेगा
हर मास्क में दो ट्यूब लगे होंगे। एक ट्यूब के जरिए साफ हवा बच्चों के नाक के अंदर जाएगी और दूसरी ट्यूब से गंदी हवा बाहर निकलेगी। शोधकर्ताओं का मानना है कि उनकी इस खोज को छोटी और बंद जगहों जैसे कक्षाओं, सिनेमा, कार्यालयों और थियेटर में प्रयोग में लाया जा सकता है।
यूवी लाइट से जीवाणुओं का होगा खात्मा
जैसे ही हवा इस नेटवर्क के अंदर जाएगी उसे अल्ट्रावॉयलेट रोशनी से गुजारा जाएगा। यूवी रोशनी के संपर्क में आने से हवा में मौजूद हर प्रकार के बैक्टीरिया और वायरसों का खात्मा हो जाएगा। एक बार हवा सांस द्वारा खींचने के बाद बाहर निकाल दी जाएगी जो उसे अलग कर दिया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह हवा किसी अन्य की सांस के साथ न मिले। इस तरीके से ध्यान रखा जाएगा कि एक से दूसरे व्यक्ति तक कोरोनावायरस का प्रसार न हो।
दोनों हवा को संक्रमणमुक्त किया जाएगा
स्पेनिश यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता प्रोफेसर एंटोनियो मारसिला ने कहा कि यह सिस्टम सुनिश्चित करता है कि मासक के अंदर जाने वाली हवा और सांस के जरिए बाहर निकलने वाली हवा दोनों को संक्रमणमुक्त किया जाएगा। ऐसे में इस मास्क को पहनकर सांस लेने वाले को कोरोना संक्रमण होने की आशंका नहीं रहेगी। इस तकनीक से सोशल डिस्टेंसिंग की भी जरूरत नहीं पड़ेगी।
दोबारा शुरू हो सकेंगी कक्षाएं
इस ट्यूब नेटवर्क वाले मास्क का इस्तेमाल करने से कक्षाओं और थियेटरों को दोबारा शुरू किया जा सकेगा। यह प्रोजेक्ट अभी प्राथमिक चरण में है और इसका एक मॉडल लैब में तैयार किया गया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इस नेटवर्क को मौजूदा हवा के प्रसार की प्रणालियों में जोड़ा जा सकेगा।