कानपुर के बिकरू कांड की जांच के लिए गठित एसआईटी की सिफारिशों पर कार्रवाई के लिए शासन ने अलग-अलग विभागों को जिम्मेदारी सौंपी है। एसआईटी ने विकास दुबे और उसके गैंग की लगभग 150 करोड़ की संपत्तियों का पता लगाया है, जिसकी जानकारी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के साथ भी साझा की जाएगी। शासन के अनुरोध पर ईडी पहले ही इस मामले की जांच कर रहा है। प्रशासनिक और पुलिस से संबंधित सुधारों पर भी जल्द अमल होगा।
अपर मुख्य सचिव संजय आर. भूसरेड्डी की अध्यक्षता में गठित एसआईटी ने बीते अक्टूबर माह में अपनी रिपोर्ट शासन के गृह विभाग को सौंपी थी। गृह विभाग ने दोषी पुलिस अफसरों व कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए अन्य दोषियों पर कार्रवाई के लिए संबंधित विभागों को रिपोर्ट भेजी है। इसी तरह प्रशासनिक तथा पुलिस व्यवस्था में सुधार के लिए की गई एसआईटी की सिफारिशों पर भी अमल कराने की तैयारी है।
एसआईटी ने जुलाई 12 जुलाई 2020 को नौ बिन्दुओं पर अपनी जांच शुरू करते हुए 16 अक्टूबर 2020 को लगभग तीन हजार पृष्ठों की अपनी जांच रिपोर्ट शासन को सौंपी थी। इसमें पुलिस, प्रशासन, राजस्व तथा खाद्य एवं रसद विभाग के लगभग 80 अधिकारियों व कर्मचारियों पर लघु एवं वृहद दंड की सिफारिश भी की गई है। वृहद दंड की सिफारिश के दायरे में आने वाले तत्कालीन एसएसपी अनंत देव समेत कई पुलिसकर्मियों को निलंबित किया जा चुका है।
थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाने की सिफारिश
एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में पुलिस व प्रशासनिक सुधारों के लिए कई अहम सुझाव दिए हैं। इसमें थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाने, अपराधियों का ब्योरा लगातार अपडेट किए जाने, अभियोजन स्वीकृति के मामले में निर्णय की प्रक्रिया तेज करने तथा पुलिसकर्मियों व होमगार्ड्स जवानों को नियमित ट्रेनिंग देने के लिए मंडल स्तर पर फायरिंग रेंज बनाने का सुझाव दिया गया है। बिकरू कांड की जांच में पता चला कि कानपुर नगर जिले का चौबेपुर थाना क्षेत्र कानपुर देहात जिले की अदालत के न्यायिक क्षेत्राधिकार में आता है।
एसआईटी ने माना है कि इससे भी अभियुक्त विकास दुबे को तकनीकी लाभ मिलता रहा। इस कारण एसआईटी ने सिफारिश की है कि यदि प्रदेश के किसी अन्य जिले में भी यदि ऐसी स्थिति हो तो उसमें बदलाव किया जाएगा। जिस जिले का थाना हो, वह उसी जिले की अदालत के अधीन रहे। एसआईटी ने बुनियादी पुलिलिंग और बीट पुलिलिंग में भी सुधार लाने का सुझाव दिया है। साथ ही कहा है कि विकास दुबे गैंग के सदस्यों के विरुद्ध गलत दस्तावेजों के सहारे शस्त्र लाइसेंस व पासपोर्ट हासिल करने के मामले में भी एफआईआर दर्ज कराकर कार्रवाई की जाए।