उत्तराखंड के आगामी विधानसभा चुनाव 2022 में खुद को मुख्य चेहरा बनाए जाने के मुद्दे से पूर्व सीएम और कांग्रेस महासचिव हरीश रावत ने खुद को अलग कर लिया। उन्होंने कहा कि चुनाव सामूहिक रूप से लड़े जाते हैं। इस वक्त सबका उद्देश्य कांग्रेस की जीत होनी चाहिए।
रही बात मेरे नेतृत्व में चुनाव लड़ने की, तो मुझे कुछ नहीं कहना। बीते रोज जो बात आई, वो हमारे साथियों की निजी भावना है। हर क्षेत्र की राजनीति का अलग मिजाज है। स्थानीय स्तर पर संभवत: उन्हें मेरी उपयोगिता लगती है। अपने साथियों के इस विश्वास के लिए मैं उनका आभारी हूं। कांग्रेस एकजुट होकर काम करेगी।
हाईकमान से हरीश कैंप की शिकायत
2022 के चुनावों को लेकर जहां भाजपा की तैयारियों ने गति पकड़ ली है, वहीं कांग्रेस आपसी खींचतान में ही उलझी है। बीते कई दिनों से सोशल मीडिया पर भिड़ रहे पूर्व सीएम हरीश रावत और प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह कैंप की लड़ाई और भी तेज हो गई है। रविवार को मीडिया में छपी खबरों को हाईकमान को भेजते हुए रावत खेमे की शिकायत की गई है।
सांसद प्रदीप टम्टा, विधायक गोविंद कुंजवाल, हरीश धामी, पूर्व विधायक हेमेश खर्कवाल, मनोज तिवारी, ललित फस्र्वाण की ओर से विस चुनाव रावत के नेतृत्व में लड़ने के ऐलान से प्रीतम सिंह कैंप नाराज बताया जा रहा है। उधर, कांग्रेस में रावत-प्रीतम कैंप के बीच छिड़ी लड़ाई देखकर कांग्रेसी भी हैरान हैं। 2017 के चुनावों में 11 सीटों पर सिमटने के बावजूद मनभेद खत्म न होने को भविष्य के लिए अच्छा नहीं माना जा रहा है।
कांग्रेस को मजबूत करना होगा, गुट वालों को नहीं
कांग्रेस के पूर्व मुख्य प्रवक्ता सुरेंद्र सिंह आर्य ने साफ कहा कि अक्सर सामने आ रहे विवाद कांग्रेस के नहीं, बल्कि गुटीय नेताओं की महत्वाकांक्षा के विवाद हैं। कांग्रेस को आगे लाना है तो पार्टी की सोच मजबूत करनी होगी, गुटीय नेताओं को नहीं। भाजपा को ही देखिए, उसकी तैयारियां तेजी से चल रही है।
हाईकमान का फैसला सर्वोपरि रावत हमारे वरिष्ठ नेता : प्रीतम
सोशल मीडिया पर जहां प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के समर्थक आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं, वहीं प्रीतम खुद को उतना ही शांत जाहिर कर रहे हैं। चुनावी नेतृत्व के विवाद पर प्रीतम ने कहा है कि कांग्रेस में हाईकमान का फैसला सर्वोपरि होता है। रही बात रावत जी की तो वह कांग्रेस के वरिष्ठ और अनुभवी नेता हैं।
उनका मार्गदर्शन पार्टी को मिलता ही रहा है। रही बात वर्ष 2016 में पार्टी छोड़कर जाने वाले नेताओं की वापसी की, तो उस पर अभी तो कुछ भी नहीं है। उन्होंने फिर दोहराया कि यह फैसला भी हाईकमान को करना है। हालांकि, प्रीतम ने यह भी कहा कि एक बात स्पष्ट है कि राजनीति दरवाजे बंद करके नहीं की जाती।