बिहार विधानसभा चुनाव के बाद माननीयों की शपथ के साथ ही नई सरकार सक्रिय हो गई है। अब सरकार का फोकस गुड गवर्नेंस पर है। आला अधिकारी सप्ताह में दो दिन फील्ड में रहेंगे। वे लोगों से मिलेंगे। उनकी समस्याएं जानेंगे। दिक्कतों का निदान कराएंगे। इस संबंध में मुख्य सचिव ने सभी प्रधान सचिवों और सचिवों को निर्देश जारी किया। यह सारी कवायद निचले स्तर तक फीडबैक लेने और सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए की जा रही है। ताकि उन तमाम शिकायतों को दूर किया जा सके, जो फीडबैक सिस्टम के दुरुस्त न होने के कारण सरकार तक नहीं पहुंच पा रही थीं।
मुख्य सचिव दीपक कुमार ने कहा कि सरकार का जोर न्याय के साथ विकास पर है। इसके लिए प्रशासन को और अधिक संवेदनशील बनाया जा रहा है। निर्देश दिया गया है कि सभी प्रधान सचिव और सचिव बुधवार और गुरुवार को क्षेत्र के भ्रमण पर रहेंगे। विभागीय कार्यों का निरीक्षण और समीक्षा करेंगे, जबकि सोमवार, मंगलवार और शुक्रवार को मुख्यालय में रहकर कार्य करेंगे।
मुख्यालय स्तर पर बैठकें, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग इन्हीं तीन दिनों में होंगी। शुक्रवार की आम लोगों से मिलने का समय रहेगा। अधिकारियों से इसे प्रचारित भी कराने को कहा गया है। पूर्व में आवंटित प्रभार वाले जिलों में भी प्रधान सचिव और सचिवों को महीने में कम से कम एक दौरा अवश्य करना होगा। इन आदेशों का पालन इसी सप्ताह से शुरू करने को कहा गया है।
घर से काम नहीं करेंगे अफसर
प्रमंडल, जिला, अनुमंडल, प्रखंड, अंचल और थाना स्तर के पदाधिकारियों को भी सोमवार, मंगलवार और शुक्रवार को छोड़कर बाकी दिन क्षेत्र भ्रमण के निर्देश दिए गए हैं। आला अधिकारियों को देखना होगा कि निचले स्तर तक उनके अधीनस्थ इन आदेशों का पालन कर रहे हैं या नहीं। उनकी टूर डायरी की भी लगातार मॉनिटरिंग करेंगे। कार्यालय अवधि में प्रमंडल, जिला और अनुमंडल स्तर के अधिकारी हर हाल में अपने कार्यालय में उपस्थित रहेंगे। इस अवधि में आवासीय कार्यालय से काम नहीं करेंगे।
दलित-महादलित टोलों में जाएंगे अफसर
प्रधान सचिव, सचिव, प्रमंडलीय आयुक्त, जिला पदाधिकारी, वरीय पुलिस अधीक्षक, पुलिस अधीक्षक अपने क्षेत्र भ्रमण के दौरान अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के टोलों का भ्रमण अवश्य करेंगे। उनके बीच विकास कार्यों का प्रभावी निरीक्षण सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।