दिल्ली में आज से शादियों का सीजन शुरू हो रहा है। तय सीमा में मेहमानों को बुलाने की पाबंदियां होने के कारण शादियों का रंग फीका है। इस बार उतनी धूमधाम नजर नहीं आ रही। बैंड-बाजे, ढोल, आतिशबाजी वालों के व्यापार में 50 प्रतिशत तक गिरावट हुई है। कुछ बैंड वालों ने तो दूसरे काम शुरू कर दिए हैं। शादियों की लाइव स्ट्रीमिंग की मांग बढ़ रही है। हालांकि, शादियों के सीजन में कोरोना के नियम का पालन करवाना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती होगी।
लगभग 40 हजार शादियां
दिल्ली में 25 नवंबर से शुरू हो रहे शादियों के सीजन में लगभग 40 हजार शादियां होनी हैं। दिल्ली में कंटेनमेंट जोन में किसी प्रकार के शादी-समारोह की इजाजत नहीं है। लगभग सभी बैंक्वेट हॉल और फार्म हाउस के पास सीजन की बुकिंग आ चुकी हैं। सभी विवाह स्थलों पर थर्मल स्केनिंग और सेनेटाइज होना अनिवार्य कर दिया गया है।
50 प्रतिशत रह गई बुकिंग
यमुनापार के सबसे पुराने ग्रेट मेहता बैंड के मालिक बिट्टू मेहता ने बताया कि बीते वर्ष के मुकाबले इस वर्ष 50 प्रतिशत काम रह गया है। लेबर को अलग-अलग कामों में इस्तेमाल किया जा रहा है। कई लड़के जो लॉकडाउन में गांव चले गए थे, वे लौटे ही नहीं हैं। न हमने बुलाने की कोशिश की है। दिलशाद गार्डन स्थित श्याम बैंड के मालिक श्याम कुमार ने बताया कि हमारा काम 50 फीसदी हो गया है। अगर काम मिला भी है तो साजिंदे नहीं आ रहे हैं। बजाने वाले सभी लोग दिल्ली के नहीं हैं। यह यूपी, बिहार, पंजाब से आते हैं। लग्न जब तक रहती है तब तक वह यहां रहते हैं। लेकिन, कोरोना फैलने के कारण वे नहीं आ रहे हैं। हमारे सामने दोहरी चुनौती है। एक तरफ जिन लोगों ने बुकिंग कराई है वह बुकिंग रद्द करा रहे हैं। नई बुकिंग कम आ रही है और बजाने वाले भी अपने गांव हैं।
श्याम कुमार का कहना है कि दिलशाद गार्डन, यमुना विहार के अलावा दिल्ली के विभिन्न इलाकों में लोगों ने हमारी फ्रेंचाइजी ली है। कुछ रिश्तेदार भी इसमें शामिल हैं। लेकिन, काम आधा रह गया है। जो बजाने वाले लोग हैं वह बुकिंग नहीं मिलने के कारण रेहड़ी पटरी, सब्जी, फल बेचने से लेकर कई और काम कर रहे हैं।
कपड़े की दुकान पर काम मिला
पुरानी दिल्ली के एक मशहूर बैंड में काम करने वाले राम कुमार ने बताया कि वे बैंड में ड्रम और ढोल बजाने का काम करते थे। सीजन में बैंड वालों ने बुलाया ही नहीं है। खुद जाकर काम के बारे में पूछा तो मना कर दिया। राम कुमार ने बताया कि घर चलाने के लिए कुछ तो करना ही था। कपड़े की दुकान पर माल ढुलाई में लग गए। उन्होंने बताया कि मेरे कई साथी ऐसे भी हैं जो ई-रिक्शा चला रहे हैं या किसी फैक्ट्री में काम करने लगे हैं। बैंड वालों ने इस बार काम पर नहीं बुलाया है। उन्होंने बताया कि हमारी कोई स्थायी नौकरी नहीं होती है। हम सिर्फ सीजन के समय ही बैंड का काम करते हैं। इस बार वह काम भी नहीं मिलेगा।
बड़ी स्क्रीन की मांग
शादियों में कैमरे का काम करने वाले सागर स्टूडियो के मालिक सागर ने बताया कि इस बार काफी लोग शादियों में बड़ी स्क्रीन पर शादी की लाइव स्ट्रीमिंग करवाना चाहते हैं। जिसके लिए बड़ी स्क्रीन और वाई-फाई सिस्टम की जरूरत है। इसके जरिए उन लोगों तक शादी को लाइव किया जा सकेगा जो शादी समारोह में नहीं आ सकते। खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए शादियों में जाना इस बार काफी मुश्किल है।
मौसमी सब्जियों की मांग अधिक
पुरानी दिल्ली में हलवाई का काम करने वाले जगदीश हलवाई ने बताया कि हर बार शादियों में कई-कई प्रकार के पकवान की मांग होती थी। स्नैक्स, ड्रिंक्स, कई तरह की सब्जियों की मांग आती थी। इस बार चूंकि मेहमानों की संख्या बहुत कम है तो ज्यादातर लोग पकवानों को छोड़कर मौसमी सब्जियों की मांग कर रहे हैं। इसमें खासकर साग, दाल और अन्य सब्जियां शामिल हैं। खाने के साथ सूप और काढ़ा भी बनवाया जा रहा है। काढ़े को सूप की तर्ज पर खाने से पहले और बाद में आसानी से पी सकते हैं। इसमें ऐसे तत्वों का इस्तेमाल किया जाता है जो खाने को पचाने में सहायता करता है।
यातायात पुलिस की 50 टीमें सड़कों पर
दिल्ली में इस बार शादियों के सीजन के दौरान यातायात को सुचारू रूप से चलाने के लिए ट्रैफिक पुलिस की ओर से 50 से अधिक टीमें दिल्ली की सड़कों पर उतारी जाएंगी। दिल्ली में शादियों वाले प्रमुख इलाकों में बने चौराहों और बैंक्वेट हॉलों के नजदीक ट्रैफिक पुलिस के सिपाही तैनात रहेंगे और बेतरतीब तरीके से खड़े वाहनों को जब्त करने के साथ-साथ अवैध रूप से पार्किंग करने वाले लोगों के चालान भी काटे जाएंगे।