समाजवादी पार्टी नेता व पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान की बहन निखत अफलाक का रिवर बैंक कॉलोनी स्थित बंगला खाली कराने के मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने नगर निगम से उसका पक्ष पूछा है।
दरअसल निखत अफलाक की ओर से कहा गया है कि बंगला खाली कराने के लिए जो आधार बताया जा रहा है, उसका कारण बताओ नोटिस उन्हें नहीं दिया गया है। इस पर न्यायालय ने लखनऊ नगर निगम के अधिवक्ता को निर्देश प्राप्त करने का आदेश दिया है। मामले की सुनवाई मंगलवार को होगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने निखत अफलाक की याचिका पर दिया। याचिका में कहा गया है कि याची को 24 अगस्त 2020 को एक कारण बताओ नोटिस भेजा गया, जिसे ए-2/1, रिवर बैंक कॉलोनी बंगला खाली कराने के सम्बंध में भेजा गया था।
याची की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एचजीएस परिहार ने दलील दी कि बंगला खाली कराने के दो आधार बताए गए हैं, पहला याची उक्त बंगले में निवास नहीं करती बल्कि रामपुर जनपद में निवास करती है और दूसरा 9 फरवरी 1951 की पॉलिसी के मुताबिक उक्त बंगला सरकारी अधिकारियों के लिए ही आवंटित किया जा सकता है। चूंकि याची सरकारी सेवक नहीं है इसलिए उक्त बंगला उसे गलत आवंटित किया गया है।
अधिवक्ता का कहना था कि याची को बंगला खाली कराने के दूसरे आधार अर्थात सरकारी अधिकारियों के लिए आवंटन के आधार का कारण बताओ नोटिस नहीं जारी किया गया है। वहीं नगर निगम के अधिवक्ता ने इस बिन्दु पर निर्देश प्राप्त करने की आवश्यकता जताई जिसे न्यायालय ने स्वीकार कर लिया।