चांदनी चौक इलाके में एक हनुमान मंदिर को गिराने उत्तरी दिल्ली नगर निगम के फैसले में उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। न्यायालय ने कहा कि मामले में दखल देने का कोई भी अनुरोध दिल्ली सरकार की तरफ से आना चाहिए। जस्टिस हीमा कोहली और एस. प्रसाद की पीठ ने मंदिर के भक्तों की एक पंजीकृत सोसाइटी श्रीमनोकामना सिद्ध श्री हनुमान सेवा समिति की ओर से दाखिल याचिका पर यह टिप्पणी की है। याचिका में नगर निगम द्वारा मंदिर को गिराए जाने पर रोक लगाने की मांग की गई है। याचिका में अनुसार मंदिर को गिराने की प्रक्रिया रविवार को होगी।
पीठ ने कहा है कि उच्च न्यायालय ने मंदिर को उसके मौजूदा स्थल पर बरकरार रखने की उपराज्यपाल की अध्यक्षता वाली एक धार्मिक समिति की अनुशंसा को पिछले साल खारिज कर दिया था। साथ ही कहा है कि उस आदेश को दिल्ली सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार के इस याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि वह आगे के निर्देशों के लिये उच्च न्यायालय के समक्ष उचित याचिका दाखिल करेगी या जैसा भी जरूरी होगा।
पीठ ने शुक्रवार को कहा है कि दिल्ली की सरकार को जब एक बार ऐसा करने की स्वतंत्रता दे दी गई और अब तक सरकार ने राहत के लिये उच्च न्यायालय में याचिका क्यों नहीं दाखिल की है। पीठ ने यह टिप्पणी करते कहा है कि ऐसे में हस्तक्षेप के लिये इस याचिका पर सुनवाई की हमें कोई वजह नजर नहीं आती। इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने मंदिर तोड़ने पर रोक लगाने की मांग को लेकर दाखिल याचिका को खारिज कर दिया। याचिका के अनुसार उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने 31 अक्तूबर को हनुमान मंदिर, कटरा दुलिया मैन चांदनी चौक को गिराने का गिराने का निर्णय लिया था।