पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल के बाद अब झारखंड कांग्रेस के कद्दावर नेता सुबोधकांत सहाय ने पार्टी संगठन पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ट्रांजिशन पीरियड से गुजर रही है। नट-बोल्ट टाइट करने की जरूरत है। संगठन का मामला ढीला चल रहा है। इसके लिए संगठन की ओवरवायलिंग की आवश्यकता है। पार्टी में वैचारिक भिन्नता हो सकती है, लेकिन कोई दुश्मन नहीं है।
सुबोधकांत ने कहा कि सत्ता संघर्ष कैसे साथ चले, इसे कांग्रेस को सीखना होगा। सिर्फ कागजी संघर्ष से संघर्ष नहीं कर पाएंगे और ना ही चुनाव जीत पाएंगे। कांग्रेस में सामूहिकता का नेतृत्व होता है। नेहरू गांधी परिवार का नेतृत्व नहीं, उससे ऊपर होता है। भाजपा जिस प्रकार चुनाव में एक-एक प्रत्याशी की मॉनिटरिंग करती है और जिताने तक लगी रहती है, उसी तरह कांग्रेस को भी करना चाहिए। कांग्रेस की विचारधारा आज भी नजर आती है, लेकिन जब कोई जहर भूल जाता है, तब लोगों की मानसिकता बदल जाती है। ऐसे में उसे हमें सही भी करना है और अपनी विचारधारा को बचाते हुए सफलता भी पानी है।
अपना हक दूसरों को देती है कांग्रेस
सुबोधकांत सहाय ने कहा कि कांग्रेस दूसरों को वैशाखी देती है। अपना हक दूसरे को देती है, ताकि वह खड़ा हो सके और देश की सांप्रदायिक शक्तियों के खिलाफ मजबूती से लड़ सके। उन्होंने कहा कि झारखंड में रघुवर की सरकार को उखाड़ फेंका जा चुका है। बिहार में भी पार्टी ने सफलता पाई है। अब अगला लक्ष्य बंगाल चुनाव है, जहां भाजपा के हाथ में सत्ता नहीं आने देना है
आजकल के प्रभारी हो रहे हाकिम
सुबोधकांत सहाय ने कहा कि कांग्रेस के प्रभारियों का काम करने का तौर तरीका भी बदला है। वे जब प्रभारी हुआ करते थे तब सब ऑर्डिनेट के रूप में काम करते थे। लेकिन आजकल के प्रभारी हाकिम की तरह काम करते हैं। ऐसा वही लोग करते हैं, जो प्रोक्सी की तरह राजनीति में ऊपर पहुंचे हैं।
झारखंड में गठबंधन की राजनीति हुई
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 20 साल की झारखंड में 17 साल भाजपा रही। यहां शुरू से ही गठबंधन की राजनीति हुई। अभी भी हेमंत सोरेन के नेतृत्व में गठबंधन की सरकार है। भाजपा येन-केन चुनाव को मैनूपुलेट करती है, जिससे कोई राजनीतिक दल अपने से बहुमत नहीं ला पा रहा है। देश में आज धार्मिक की आड़ में सांप्रदायिक पोलराइजेशन हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सीरीज ऑफ विफलता है, बावजूद इसके वही जीत रहे हैं।