यात्रियों को लिफ्ट देकर खुद को पुलिसकर्मी बता तो कभी पुलिस जांच का डर दिखाकर लोगों को लूटने वाले आठ दोस्तों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपियों इसरार, प्रदीप, मोनू, कमल, उमा शंकर, नजीर और अंकित ने मिलकर तीन अलग अलग गैंग बनाई थी। तीनों गैंग ने मिलकर तीन सौ से ज्यादा वारदातों को अंजाम दिया। आरोपियों के कब्जे से तीन गाड़ीयां, सोने की ज्वैलरी, एटीएम कार्ड, वॉकी-टॉकी, लिफाफे बरामद किए हैं। सौ से ज्यादा वारदातों में आरोपियों की भूमिका सामने आ गई है, बाकि में पुलिस आरोपियों की भूमिका खंगाल रही है।
पुलिस उपायुक्त इंगित प्रताप सिंह ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से जिले के अलग अलग थानों में यात्रियों को लिफ्ट देकर लूटपाट के मामले सामने आ रहे थे। सभी वारदातों में पीड़ितों ने आरोपियों के वारदात को अंजाम देने का तरिका एक सा ही था। पीड़ितों ने बताया कि आरोपी पुलिसकर्मी बन कर या फिर पुलिस जांच का डर दिखाकर लोगों के साथ लूटपाट करते हैं। आरोपियों की गाड़ी में पुलिसकर्मियों की तरह वॉकी-टॉकी लगा रहता था और वह दिल्ली पुलिस लिखा और लोगों लगा मास्क पहनते हैं।
एसीपी वसंत विहार राकेश दीक्षित की टीम को आरोपियों को पकड़ने का जिम्मा सौंपा गया। आर.के पुरम थाने में हुई वारदात के बाद इंस्पेक्टर राजेश शर्मा, देवेन्द्र प्रणव की टीम आरोपियों का सुराग जुटाने में जुटी हुई थी। इसी दौरान 18 नवम्बर को कांस्टेबल मोहित को आरोपियों के आर.के पुरम आने की सूचना मिली। जिसके बाद पुलिस की कई टीम तैयार की गई और आरोपियों को पकड़ने के लिए ट्रैप लगाया गया।
आरोपियों को पीछा कर दाबोचा
आर.के पुरम की फ्रुट मार्केट के पास मौजूद पुलिस टीम को एक गाड़ी में तीन लोग आते दिखाई दिए। पुलिस टीम ने गाड़ी को जांच के लिए रूकने का इशारा किया। लेकिन बदमाशों ने गाड़ी भगानी शुरू कर दी। पुलिस टीम ने बदमाशों का पीछा किया और उन्हें दबोच लिया। पकड़े गए बदमाशों में इसरार, प्रदीप और मोनू शामिल थे। पुलिस को पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वह तीन गैंग में काम करते हैं और कुल आठ दोस्त हैं। बाकि आरोपियों की पहचान के बाद पुलिस ने त्रिलोकपुरी में छापा मार कर कमल, उमा शंकर, नजीर और अंकित गिरफ्तार कर लिया।
आरोपियों के पास से ऑडियों रिकार्डिंग बरामद
पुलिस ने आरोपियों के पास से दिल्ली पुलिस के लोगों वाले मास्क और ऑडियों रिकार्डिंग बरामद की है। आरोपियों ने बताया कि वह खुद को पुलिसकर्मी दिखाने के लिए अपनी गाड़ी में वॉकी-टॉकी रखते थे और उन पर यह रिकार्डिंग की हुई ऑडियों चलाते थे। जिससे गाड़ी में लिफ्ट लेने वाले लोगों को यह लगता था कि वह पुलिसकर्मी हैं। इतना ही नहीं आरोपियों ने बताया कि कई लोगों को वह सूनसान स्थान पर ले जाकर लूटते थे और उन्हें फेंक कर फरार हो जाते थे।
जांच के बहाने बदल देते थे लिफाफा
आरोपियों ने बताया कि वह लिफ्ट देने के बाद लोगों को पुलिस जांच का डर दिखाते थे और उनकी ज्वैलरी, कैश लिफाफे में रखवाकर उनका लिफाफा बदल देते थे और फरार हो जाते थे। लोगों को उनके जाने के बाद लूट का पता चलता था। पुलिस को आरोपियों ने बताया कि वह एटीएम बदलकर भी लोगों के साथ ठगी करते थे। आरोपियों ने बताया कि पिछले एक साल में आरोपियों ने 300 से ज्यादा वारदातों को अंजाम दिया है।