दिल्ली की अदालत ने दिल्ली पुलिस द्वारा दायर 44 याचिकाओं को खारिज कर दिया। इन याचिकाओं में मजिस्ट्रेट की अदालत के उस आदेश को चुनौती दी गई थी जिसमें विदेशी लोगों को वीजा प्रावधानों का उल्लंघन कर तबलीगी जमात कार्यक्रम में शामिल होने के अपराधों से बरी कर दिया गया था।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संदीप यादव ने गुरुवार को कहा कि रिव्यू पिटीशंस में कोई आधार नहीं है। मजिस्ट्रेट की अदालत ने 24 अगस्त को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और महामारी कानून की विभिन्न धाराओं के तहत 36 विदेशी नागरिकों के खिलाफ आरोप तय किए थे। इसके अलावा आपदा प्रबंधन कानून के तहत भी आरोप तय किए गए थे।
हालांकि, विदेशी नागरिकों को वीजा प्रावधानों के उल्लंघन, जीवन के लिए खतरनाक बीमारी के संक्रमण फैलाने जैसे आरोपों से बरी कर दिया गया था। जिन अपराधों के लिए उनके खिलाफ आरोप तय किए गए हैं, उनमें छह महीने से लेकर आठ साल तक की कैद की सजा हो सकती है।
पुलिस ने रिव्यू पिटीशन दायर कर अनुरोध किया था कि जिन अपराधों में 36 विदेशी नागरिकों को आरोपमुक्त किया गया था, उनमें आरोप तय किए जाएं। पुलिस ने मजिस्ट्रेट अदालत के उस आदेश के खिलाफ भी याचिका दायर की थी जिसमें छह देशों के आठ विदेशी नागरिकों को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया था।
अदालत ने कहा कि आठ विदेशी नागरिकों को बरी किए जाने के संबंध में मजिस्ट्रेट का आदेश पूरी तरह विचार कर दिया गया था और उसमें किसी हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है।