कोरोना के चलते घरों में पूजन की प्रशासन की अपील के साथ ही लखनऊ के प्रमुख छठ घाटों पर तैयारियां पूरी हो गईं। गुरुवार व्रती के घरवालों ने छठ मइया के प्रतीक सुसुबिता का निर्माण कर रंग रोगन किया गया है। लखनऊ की अपर नगर आयुक्त अर्चना द्विवेदी ने बताया कि “गोमती नदी और उससे सटे घाटों के किनारे साफ हो गए हैं। हम भक्तों से कम संख्या में आने और सामाजिक दूरी बनाए रखने की अपील करते हैं।
समाज के अध्यक्ष प्रभुनाथ राय बताते हैं कि कोरोना के चलते इस बार किसी भी तरह का सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं आयोजित किए गए हैं। प्रशासन को सुरक्षित आयोजन की जिम्मेदारी देने पर उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद दिया और 20 को अवकाश घोषित करने की मांग की। उन्होंने सभी से मास्क और कोरोना की गाइड लाइन के तहत घरों में पूजन की अपील की है।
झूलेलाल घाट पर सुसुबिता के बनाने के साथ ही पूजन की तैयारियां पूरी हो गईं। इसके अलावा शिव मंदिर घाट, खदरा, संझिया घाट, मनकामेश्वर उपवन घाट, श्री खाटू श्याम मंदिर घाट, पंचमुखी हनुमान मंदिर घाट, कुड़िया घाट, लल्लूमल घाट समेत गोमती के सभी घाटों पर पूजन होगा।
शहर में आयोजन होंगे
गोमती के घाटों के अलावा शहर भर में पूजन होगा। मवैया के रेलवे कॉलोनी में तैयारियां पूरी हो गईं हें। सरोजनीनगर, कृष्णानगर स्थित सहसेवीर मंदिर और मानसनगर के संकट मोचन हनुमान मंदिर पार्क में आयोजन होगा। कानपुर रोड एलडीए कॉलोनी के शनि मंदिर परिसर के अलावा छोटी व बड़ी नहर में भी पूजन होगा।
अस्ताचलगामी सूर्य उपासना आज
अस्ताचलगामी सूर्य उपासना का छठ महापर्व शुक्रवार को है। छठ गीतों की प्रस्तुति के बीच व्रती शाम को छठ घाटों पर जाकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगी। सभी व्रतियां छठ मइया के प्रतीक सुसुबिता पर दीपदान कर मन्नत मांगेंगी। शनिवार की सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर 36 घंटे के निर्जला व्रत का पारण करेंगी। गुरुवार को लक्ष्मण मेला और झूलेलाल स्थित छठ घाट व अन्य स्थानों पर छोटी छठ व खरना के तहत व्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा अर्चना की। व्रतियों ने शाम को गुड़ व अरवा चावल की बनी खीर का सेवन कर 36 घंटे के निर्जला व्रत की शुरुआत की। छठ मइया को चढ़ने वाले प्रसाद ठेंकुआ की व्रतियों के घरों पर तैयारी शुरू हो गई।
आज और कल अर्घ्य का शुभ मुहूर्त
आचार्य जितेंद्र शास्त्री ने बताया कि गुरुवार को शाम 5:22 बजे से 7:26 बजे शुभ मुहूर्त में व्रतियों ने खरना के रूप में गुड़ की खी रसियाव का सेवन किया। शुक्रवार को शाम 5:21 बजे तक सवार्थ सिद्धि योग में अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाना उत्तम होगा। शनिवार को सुबह 6:39 बजे के बाद द्विपुष्कर योग में उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाना श्रेयस्कर होगा।
आचार्य शक्तिधर त्रिपाठी ने बताया कि ऋगवेद में व्रत का जिक्र मिलता है। महापर्व छठ का व्रत आरोग्य, सौभाग्य, संतान प्राप्ति के लिए किया जाता है। स्कंद पुराण के अनुसार राजा प्रियव्रत ने भी यह व्रत किया था। इसके अलावा महाभारत और रामायण काल में भी छठ व्रत करने की परंपरा रही है। आरोग्य के देवता सूर्य की पूजा सूर्य षष्ठी को होती है। चंद्रमा और पृथ्वी के भ्रमण तलों की सम रेखा के दोनों छोरों पर से होती हुई सूर्य की किरणें विशेष प्रभाव धारण करके अमावस्या के छठें दिन पृथ्वी पर आती हैं। इसीलिए छठ को सूर्य की बहन भी कहा जाता है।
गन्ने आदि की खूब खरीदारी
गुरुवार को बाजारों में व्रतियों के घरवालों ने खूब ख़रीददारी की। मौसमी फल व सब्जियों के साथ ही गन्ना, कच्ची हल्दी, नारियल, सिंघाड़ा, मूली, सूप व बांस की डलिया के साथ ही अन्नास व नीबू सहित छठ मइया को चढ़ने वाले सामानों की खरीदारी की गई। निशातगंज, आलमबाग, डालीगंज, महानगर, राजाजीपुरम, भूतनाथ, आशियाना व कृष्णानगर समेत सभी इलाकों की बाजारों में भीड़ रही।