सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 महामारी का प्रकोप शुरू होने के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित तबलीगी जमात के समागम से संबंधित मीडिया रिपोर्टिंग से जुड़े मामले में केंद्र द्वारा पेश हलफनामे पर नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने कहा कि टेलीविजन पर इस तरह की सामग्री से निपटने के लिए केंद्र को नियामक प्रणाली बनाने पर विचार करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को ऐसी प्रणाली बनाने और इस बारे में अदालत को सूचित करने का निर्देश दिया। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, पहले तो आपने उचित हलफनामा दाखिल नहीं किया और अब आपने ऐसा हलफनामा पेश किया जिसमें दो महत्वपूर्ण सवालों के बारे में कुछ नहीं कहा गया है। यह कोई तरीका नहीं है। हम आपके जवाब से संतुष्ट नहीं है। हम यह जानना चाहते हैं कि टीवी पर इस प्रकार की सामग्री से निपटने के लिए किस तरह की व्यवस्था है। यदि कोई नियामक प्रणाली नहीं है तो आप ऐसी प्रणाली बनाएं। नियामक का काम एनबीएसए जैसे संगठनों के जिम्मे नहीं छोड़ा जा सकता।
पीठ जमायत उलेमा ए हिंद और अन्य की ओर से दायर याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी जिनमें आरोप लगाए गए हैं कि मीडिया का एक धड़ा तबलीगी जमात समागम को लेकर सांप्रदायिक नफरत फैला रहा था।