पाकिस्तान में जासूसी के आरोप में 8 साल तक जेल में बंद रहे शम्शुद्दीन रविवार रात 28 साल बाद आखिर अपने घर पहुंच गए। उनके चेहरे पर सुकून भरी मुस्कुराहट नजर आ रही थी। घर पहुंचे तो बेटियों की सिस्कियां बंध गईं। बहन खुशी के मारे बेहोशी हो गई। पूरा मोहल्ला दिवाली मनाने उमड़ पड़ा। शम्शुद्दीन 26 अक्तूबर को अपने वतन अमृतसर पहुंच गए थे, लेकिन कानपुर पहुंचने में लंबा वक्त लग गया। शुक्रवार रात स्थानीय पुलिस और खुफिया टीम अमृतसर से उन्हें लेने गई थी।
रविवार रात ठीक 09:45 बजे टीम शम्शुद्दीन को लेकर थाना बजरिया पहुंची। क्षेत्राधिकारी त्रिपुरारी पांडेय समेत अन्य अधिकारियों ने शम्शुद्दीन का स्वागत किया और मुंह मीठा कराया। खुद शम्शुद्दीन बोले, हमारे लिए तो यह दीपावली यादगार बन गई है। मेरी बेटी का जन्म भी दीपावली वाले दिन हुआ था। इस पर अधिकारियों ने उन्हें मुबारकबाद दी। बोले, बेटी तो लक्ष्मी होती है। उसकी दुआ पूरी हो गई।
शम्शुद्दीन के छोटे भाई फहीमुद्दीन ने थाने में औपचारिकता पूरी कीं और इसके बाद पुलिस बल उन्हें उनके कंघी मोहाल स्थित घर छोड़ आया। घर के बाहर हजारों की भीड़ जमा थी। मोहल्ले के लोगों और रिश्तेदारों ने उन पर पुष्प वर्षा की और फूल-मालाओं से लाद दिया। किसी तरह घर के दरवाजे पर पहुंचे तो एक बेटी से रहा न गया और वह घर से बाहर आकर अपने वालिद से चिपट कर रो पड़ीं। इस मंजर ने कुछ पल के लिए खामोशी ला दी। सिर्फ सिस्कियां ही सुनाई दे रही थीं। घर के अंदर जाते ही ऐसा ही मंजर सामने आया जब उनकी बहन और रिश्तेदार अपने आंसू नहीं रोक सके। पूरा मोहल्ला खुशी में दिवाली मनाने लगा।