बिहार चुनाव में महागठबंधन की हार के बाद ईवीएम पर सवाल उठने लगे हैं। इस बार सवाल कांग्रेस नेता उदित राज ने उठाए हैं। उन्होंने एक वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा है कि भाजपा का बिहार में वोट शेयर 5 प्रतिशत गिरा है तो सीटें कैसे बढ़ी? आपको बता दें कि 10 नवंबर को भी उदित राज ने ट्वीट करके कहा था कि जब मंगल ग्रह और चांद की ओर जाते उपक्रम की दिशा को धरती से नियंत्रित किया जा सकता है तो ईवीएम हैक क्यों नही की जा सकती?
उदित राज ने ट्वीट करके कहा है कि भाजपा का बिहार में वोट शेयर 5% गिरा है तो सीटें कैसे बढ़ी? राजद का वोट शेयर 5 प्रतिशत बढ़ा लेकिन सीटें कम हुईं।भाजपा का वोट बैंक कम है, ज्यादा से ज़्यादा 15 सीटें आनी थीं। ग्रामीण इलाक़े में ज़्यादा एनडीए जीती है जबकि इनका शहरी बेस है। ईवीएम में सेट्टिंग हुई।श्
मतगणना की प्रक्रिया पूरी तरह निष्पक्ष : श्रीनिवास
बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी एचआर श्रीनिवास ने बिहार विधानसभा आम चुनाव, 2020 को लेकर मतगणना की प्रक्रिया को पूरी तरह से निष्पक्ष बताया। कहा कि किसी भी प्रत्याशी द्वारा मांग किए जाने पर मतगणना से जुड़े दस्तावेज व वीडियो फुटेज इत्यादि उपलब्ध करा दिए जाएंगे। श्रीनिवास गुरुवार को निर्वाचन विभाग में प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने बताया कि 11 विधानसभा क्षेत्रों में एक हजार से कम वोटों के अंतर से हार-जीत का निर्णय हुआ। इन सीटों में चार पर जदयू, तीन पर राजद, एक पर लोजपा, एक पर भाजपा, एक पर सीपीआई व एक पर निर्दलीय प्रत्याशी की जीत हुई है। इस प्रकार, इनमें सभी प्रमुख दल शामिल हैं। इनमें एकमात्र हिलसा में 12 वोटों के अंतर से हार-जीत हुई, जहां प्रत्याशी की मांग पर पुनर्मतगणना कराई गई।
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के निर्देशानुसार वोटों का अंतर रद्द किए गए पोस्टल बैलेट से कम होने पर ही रद्द किए गए पोस्टल बैलेट की पुनर्मतगणना कराने का प्रावधान है। हिलसा में रद्द किए गए वोटों से वोटों का अंतर कम होने के कारण निर्वाची पदाधिकारी द्वारा सभी पोस्टल बैलेट की पुनर्मतगणना करायी गयी और इसके बाद भी नतीजा वही आया।
श्रीनिवास ने बताया कि 11 में छह विधानसभा क्षेत्रों में पुनर्मतगणना की मांग की गयी थी। इनमें हिलसा को छोड़कर अन्य पांच निर्वाचन क्षेत्रों रामगढ़, मटिहानी, भोरे, डेहरी एवं परबत्ता में रद्द किए गए पोस्टल वोट से जीत-हार के वोटों का अंतर अधिक होने के कारण पुनर्मतगणना की मांग को निर्वाची पदाधिकारी द्वारा अस्वीकृत कर दिया गया।