सीवर शुल्क के मसले पर दिल्ली जल बोर्ड के प्रस्तावों को यदि केजरीवाल सरकार मंजूरी देती है तो राजधानी के लाखों लोगों को अप्रैल माह में बिजली का बिल झटका देगा। उनके बिजली के बिलों में 5 हजार रुपये तक सीवर का वार्षिक शुल्क जुड़कर आएगा। दिल्ली जल बोर्ड ने यमुना निगरानी समिति को बताया है कि उसने अभी हाल ही में उसने राजधानी के सभी घरों से सालाना सीवेज शुल्क देना होगा। भले ही उनके कॉलोनी में या घरों में सीवर का कनेक्शन हो या नहीं। यमुना निगरानी समिति के समक्ष जल बोर्ड ने कहा है कि उसने सितंबर माह में राजधानी के सभी घरों से सीवर शुल्क वसूलने का निर्णय लिया है। साथ ही कहा है कि दिल्ली सरकार के कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद इसे लागू कर दिया जाएगा। जल बोर्ड ने 12 अक्तूबर को अपने प्रस्ताव दिल्ली सरकार के शहरी विकास विभाग के पास भेज दिया है ताकि कैबिनेट से मंजूरी लिया जा सके।
जल बोर्ड के अनुसार सीवर के सालाना शुल्क की वसूली बिजली के बिलों के माध्यम से बिजली वितरण कंपनियां करेगी। यह शुल्क हर वित्तीय वर्ष के पहले माह यानी अप्रैल के बिजली बिल के साथ वसूला जाएगा। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने जल बोर्ड से राजधानी के सभी घरों से सीवर शुल्क वसूलने का आदेश दिया था। फिलहाल सिर्फ उन घरों से सीवेज शुल्क लिया जाता है जिनमें पानी का कनेक्शन है और उन क्षेत्रों में जल बोर्ड का चालू सीवेज नेटवर्क है। जल बोर्ड इन पैसों का उपयोग सीवेज नेटवर्क के रखरखाव और विकासके लिए करता है।
किस कॉलोनी में कितने देने होंगे सिवर शुल्क
जल बोर्ड ने सीवर शुल्क वसूलने के लिए कॉलोनियों को 8 श्रेणियों में विभाजित किया है। इसमें घरेलू और गैर-घरेलू उपभोक्ताओं से प्रति वर्ष सीवर प्रदूषण शुल्क वसूला जाएगा। दिल्ली में आवासीय कॉलोनियों को – ए, बी, सी, डी, ई, एफ, जी, और एच जैसे महारानी बाग और एंड्रयूज गंज जैसी कॉलोनियों की ए और बी श्रेणियों में घरेलू उपभोक्ताओं को सीवेज प्रदूषण शुल्क के रूप में हर साल 5 हजार रुपये का भुगतान करना होगा। सी और डी श्रेणी में एक से 2 हजार रुपये तक का भुगतान करना होगा। इसी तरह ई और एफ श्रेणियों की कॉलोनियों से 200 रुपए जबकि जी और एच श्रेणी के कॉलोनियों से 100 रुपये प्रति वर्ष के हिसाब से लिया जाएगा। लेकिन यदि घरों में कॉमर्शिय इस्तेमाल हो रहा है तो सीवर शुल्क के लिए श्रेणी के हिसाब से निर्धारित रकम के अलावा बिजली के लोड प्रति किलोवाट 200 रुपये के हिसाब से चुकाना होगा।
32 फीसदी सीवर कनेक्शन में बढ़ोतरी
जल बोर्ड ने समिति को बताया है कि जनवरी से 30 सिसंबर तक सीवर कनेक्शन में 32 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। बोर्ड ने बताया कि जनवरी 2020 में दिल्ली में 15.60 लाख घरों में सीवर का कनेक्शन था। लेकिन 30 सितंबर तक यह बढ़कर 20.68 लाख हो गया। यानी दिल्ली में 5 लाख 8 हजार सीवर कनेक्शन बढ़ा है।
बिजली कंपनियां एकत्रित करेंगी
सीवेज शुल्क बिजली वितरण कंपनियों के माध्यम से एकत्र किया जाएगा। जल बोर्ड अधिकारियों के मुताबिक दिल्ली में केवल एक ही सुविधा है जो हर घर में समान रूप से उपयोग की जाती है वह है बिजली। ऐसे में बिजली कंपनियों के पास सबसे बड़ी बिलिंग और संग्रह नेटवर्क है जिसे सीवेज शुल्क के संग्रह के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।
कुछ अहम बातें
- 25.20 लाख सक्रिय जल उपभोक्ता हैं
- 19.94 लाख सीवेज कनेक्शन वाले क्षेत्रों में आते हैं, जिनसे सीवेज शुल्क लिया जाता
श्रेणी शुल्क
- ए, बी 5 हजार
- सी 2 हजार
- डी 1 हजार
- ई, एफ 200 रुपए
- जी, एच 100
- कलस्टर में नहीं
अभी दिल्ली में ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां जल बोर्ड की पानी की पाइपलाइन और सीवर नेटवर्क नहीं हैं। इनमें बड़ी संख्या में अनधिकृत कॉलोनियां और जेजे क्लस्टर आदि शामिल हैं। इन क्षेत्रों में वह सिविक एजेंसियां जो भूमि स्वामित्व रखती हैं सीवेज शुल्क एकत्र करने के लिए जिम्मेदार हैं।