दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन को नगरपालिका निकाय के पार्षद के रूप में आयोग्य ठहराए जाने के पूर्वी दिल्ली नगर निगम (EDMC) के फैसले पर शुक्रवार को रोक लगा दी है। उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़के साम्प्रदायिक दंगों के लिए ताहिर हुसैन को मुख्य साजिशकर्ता के तौर पर दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया हुआ है। बहरहाल, वह दर्जनभर के करीब मामलों में न्यायिक हिरासत में जेल मे बंद है।
जस्टिस नजमी वजीरी की पीठ ने EDMC के ताहिर हुसैन को अयोग्य घोषित करने के आदेश पर रोक लगाते हुए कहा कि हुसैन की तरफ से ईडीएमसी के निर्णय को चुनौती दी गई है। इस मामले में विस्तृत सुनवाई होनी है। इस मामले में एकलपीठ ने ईडीएमसी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
वहीं, ईडीएमसी के वकील गौरांग कंठ से भी पीठ ने अपना पक्ष रखने को कहा। इस याचिका पर अगले साल मार्च में सुनवाई होगी। वहीं ताहिर हुसैन के वकील रिजवान ने पुष्टि की कि पीठ ने ईडीएमसी के आदेश पर रोक लगा दी है। इस मामले में पूर्व ‘आप’ पार्षद ताहिर हुसैन की तरफ से उनकी पत्नी ने यह याचिका अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाईकोर्ट में दायर की है। दरअसल, ईडीएमसी ने पार्षद को लगातार तीन हाउस मीटिंग में बगैर सूचना के गैर-हाजिर होने की स्थिति में अयोग्य घोषित किया है। वहीं, ताहिर हुसैन की पत्नी की तरफ से दलील दी गई है कि उनके पति को झूठे मामले में हिरासत में रखा गया है। इस बात की जानकारी सभी को है। ऐसे में हुसैन ईडीएमसी की मीटिंग में शामिल नहीं हो सके। इस आधार पर उन्हें अयोग्य घोषित नहीं किया जा सकता।
26 अगस्त को रद्द की गई थी सदस्यता
पूर्वी निगम ने 26 अगस्त को ताहिर हुसैन की सदस्यता को खत्म करने का प्रस्ताव पास किया था, क्योंकि उन्होंने लगातार EDMC की 3 बैठकों में हिस्सा नहीं लिया था। ताहिर हुसैन इस समय फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए साम्प्रदायिक दंगों में अपनी कथित भागीदारी के लिए जेल में बंद हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली पूर्वी दिल्ली निगम ने मानदंडों के कथित उल्लंघन का हवाला देते हुए नेहरू विहार वार्ड से ‘आप’ के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन की सदस्यता समाप्त करने का प्रस्ताव किया था।
नगर निगम सचिव कार्यालय में ईडीएमसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि डीएमसी अधिनियम के नियम के अनुसार, यदि कोई सदस्य निगम की अनुमति के बिना लगातार तीन महीनों के लिए सभी बैठकों में अनुपस्थित रहता है , तो निगम अपनी सीट को रिक्त घोषित कर सकता है।
पूर्वी दिल्ली के महापौर निर्मल जैन ने दावा किया था कि सदन की लगातार तीन बैठकों से अनुपस्थित रहने का कारण का हवाला देते हुए ताहिर हुसैन के वकीलों या उनके परिवार की ओर से उनके कार्यालय या नगर निगम सचिव कार्यालय को कोई सूचना नहीं दी गई थी।
दिल्ली दंगों का मास्टरमाइंड है ताहिर
दिल्ली पुलिस की चार्जशीट के अनुसार, ताहिर हुसैन पूर्वी दिल्ली में हुई साम्प्रदायिक हिंसा का बड़ा मास्टरमाइंड है। दिल्ली पुलिस के सामने उसने खुद यह बात कबूली है। उसने खालिद सैफी, उसके पीएफआई नेटवर्क में आने वाले लोगों के साथ साजिश में शामिल होने की बात कही थी। यह बयान डिस्क्लोजर का हिस्सा है।
ताहिर हुसैन ने पुलिस को बताया कि मुझे टास्क दिया गया था कि मैं ज्यादा से ज्यादा कांच की बोतल, पेट्रोल, तेजाब, पत्थर, इकट्ठा कर अपने घर की छत पर रखूं। सैफी ने अपनी दोस्त इशरत जहां के साथ मिलकर खुरेजी में धरना-प्रदर्शन शुरू करवाया। पीएफआई के लोग सीधे तौर पर इस हिंसा से जुड़े थे या फिर फंडिंग में उनकी भूमिका थी या फिर कुछ और इसकी जांच जारी है। क्राइम ब्रांच की जांच में विदेश से फंडिंग और कुछ संगठनों से जुड़े लोगों से सीएए के विरोध में फंडिंग की बात का खुलासा हुआ था।
ताहिर हुसैन ने पूछताछ में बताया कि खालिद सैफी ने 8 जनवरी को जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद से मिलवाया था। इस बैठक में ताहिर को बोतल, तेजाब जमा करने को कहा गया था। सैफी का काम लोगों से हंगामा करवाना था।
दिल्ली दंगे में 53 लोगों की हुई थी मौत
गौरतलब है कि नागरिकता कानून के समर्थकों और विरोधियों के बीच संघर्ष के बाद 24 फरवरी को उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद, मौजपुर, बाबरपुर, घोंडा, चांदबाग, शिव विहार, भजनपुरा, यमुना विहार इलाकों में साम्प्रदायिक दंगे भड़क गए थे।
इस हिंसा में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और 200 से अधिक लोग घायल हो गए थे। साथ ही सरकारी और निजी संपत्ति को भी काफी नुकसान पहुंचा था। उग्र भीड़ ने मकानों, दुकानों, वाहनों, एक पेट्रोल पम्प को फूंक दिया था और स्थानीय लोगों तथा पुलिस कर्मियों पर पथराव किया।
इस दौरान राजस्थान के सीकर के रहने वाले दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतन लाल की 24 फरवरी को गोकलपुरी में हुई हिंसा के दौरान गोली लगने से मौत हो गई थी और डीसीपी और एसीपी सहित कई पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल गए थे। साथ ही आईबी अफसर अंकित शर्मा की हत्या करने के बाद उनकी लाश नाले में फेंक दी गई थी।