ठंड का मौसम शुरू होते ही वायु प्रदूषण भी बढ़ने लगा है। ऊपर से कोरोना का खतरा बरकरार है। ऐसे में बाहर निकलते समय विशेष सावधानी की जरूरत है। पटना एम्स और बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने यह सलाह दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस मौसम में सर्दी-खांसी के मरीज बढ़ जाते हैं। ये मरीज बाहर छींकते हैं तो प्रदूषित हवा में मौजूद धूलकण पर ज्यादा देर तक रहते हैं। इस कारण संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है।
डब्ल्यूएचओ ने भी प्रदूषित ठंडी हवा, वायु प्रदूषण, प्रदूषित गैस जैसे नाइट्रोजन ऑक्साइड से कोरोना संक्रमण के बढ़ने का खतरे की बात कही है। पटना एम्स के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के डॉ. सौरभ करमाकर ने बताया कि केरल में वायु प्रदूषण और कोरोना को लेकर कोचीन यूनिवर्सिटी, मणिपाल यूनिवर्सिटी और कन्नूर के राजकीय मेडिकल कॉलेज द्वारा किए गए शोध में यह पाया गया है कि वायु गुणवत्ता खराब होने पर कोरोना का संक्रमण बढ़ सकता है। वहीं बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के अध्यक्ष सह वैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार घोष ने कहा कि दिल्ली की तुलना में अभी पटना की स्थिति ठीक है लेकिन जैसे ही वायु प्रदूषण बढ़ेगा तो इसका असर कोरोना पर भी पड़ेगा।
पटना के वातावरण में धूलकण ज्यादा
पटना में वायु प्रदूषण का मुख्य कारण पीएम 10 और पीएम 2.5 यानी मोटे और महीन धूलकण हैं। ठंड बढ़ने के साथ ही धूलकण आसपास के वातावरण में घुलेगा और तैरेगा। इससे कोरोना संक्रमित व्यक्ति अगर छींकता है या खांसता है तो उसका ड्रॉपलेट धूलकण में चिपक जाता है और लंबे समय तक वातावरण में रहता है। ऐसे में अभी के समय में लोगों को कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना ज्यादा जरूरी है। बिना मास्क के बाहर नहीं निकलें और हाथों को हमेशा साफ करते रहें।
पीएम 2.5 महीन धूलकण ज्यादा खतरनाक
पटना एम्स के डॉ. सौरभ करमाकर ने बताया कि वायु प्रदूषण में पीएम 2.5 यानी महीन धूलकण ज्यादा खतरनाक है। यह वायरस से चिपक जाता है। सांस की छोटी नलियों के जरिए अंदर तक पहुंच जाता है। ठंडी हवा के कारण धूलकण का वजन अधिक हो जाता है और वही सतह तक एक परत बना लेता है। जो हमारे आस-पास होता है। चाहे इनफ्लूएंजा हो या कोरोना वायरस इस महीन धूलकण से चिपक जाता है और मॉस्चराइजर युक्त धूलकण में चिपक जाता है। अगर कोई इनफ्लूएंजा या कोरोना संक्रमित है और बिना मास्क के रह रहा है तो उक्त वायरस आसपास के धूलकण में चिपकेगा और दूसरों के लिए खतरा बनेगा। अपने देश में कोरोना संक्रमण का खतरा ठंड के मौसम में पहली बार सामना करना पड़ेगा। ऐसे में सभी लोगों को चाहिए कि अभी के समय में किसी भी स्तर पर लापरवाही नहीं करें। खासकर अस्थामा, सांस की बीमारी से ग्रसित व्यक्ति सुबह और शाम के बाद कम से कम निकलें। जरूरी काम दिन में ही निपटा लें और बिना मास्क के तो निकले ही नहीं।
हवा प्रदूषित, पर्यावरणी नियमों का पालन कराएं
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार घोष ने कहा कि पटना शहर में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कई बार दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। ऐसे में संबंधित अधिकारी अभी से ही नियमों का पालन कराएं। जैसे-जैसे ठंड बढ़ेगी पटना में वायु प्रदूषण भी बढ़ेगा। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण पर्षद द्वारा जारी राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक के मुताबिक शाम आठ बजे पटना का ओवर ऑन सूचकांक 190 था। वहीं पटना का व्यस्तम इलाका मौया कॅम्पलेक्स परिसर का वायु गुणवत्ता सूचकांक 287 पाया गया। यानी इस इलाके की हवा बहुत खराब की ओर बढ़ रही है। हालांकि दिल्ली, एनसीआर आदि शहरों की तुलना में पटना की हवा अभी कम खराब है।