लॉकडाउन से अनलॉक के आठ महीनों में आम आदमी का घर खर्च चलाना 15 फीसदी तक महंगा हो चुका है। सब्जी की कीमतें जहां आसमान छू रही हैं, वहीं रसोई का हर सामान, कपड़ा तक महंगा हो चुका है। हर रोज बढ़ती महंगाई आम आदमी पर सीधे असर डाल रही है।
सब्जी की कीमतें चार गुना तक बढ़ीं
अगर सबसे ज्यादा असर किसी चीज पर पड़ा है तो वो सब्जी की कीमत पर है। लॉकडाउन के दौरान सात से आठ रुपये प्रति किलो बिकने वाला आलू इस वक्त 40 से 60 रुपये तक हो गया है। 10 रुपये किलो की प्याज भी इस वक्त 70 रुपये किलो तक बिक रही है। हरी मिर्च हो या फिर खीरा, हरी सब्जियां सभी चीजों के दाम पर असर पड़ा है।
राशन ने तोड़ दी कमर
राशन सबसे महंगा हो चुका है। मार्च में जहां अरहर दाल की कीमत 70 से 75 रुपये प्रति किलो थी, वहीं अब 110 से 125 रुपये प्रति किलो तक हो गई है। 22 से 24 रुपये प्रति किलो वाला आटा इस वक्त 30 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। सरसों का तेल 110 रुपये प्रति लीटर से 140 रुपये प्रति लीटर और रिफाइंड ऑयल 105 रुपये प्रति लीटर से 130 रुपये प्रति लीटर पहुंच गया है। जार्जटाउन की सुषमा सेठ का कहना है कि पहले सात हजार रुपये तक हर हफ्ते का खर्च बैठता था वहीं अब आठ से साढ़े आठ हजार रुपये हफ्ते में खर्च हो रहे हैं।
महंगी हो गई शिक्षा
शिक्षा पर भी खर्च का बोझ बढ़ा है। स्कूलों ने अपनी फीस में कोई कमी नहीं की, लेकिन ऑनलाइन कक्षा के कारण जिस परिवार का खर्च 400 रुपये के मोबाइल के रिचार्ज पर चलता था, उसे अब डेटा में एक हजार से 1200 रुपये महीने खर्च करना पड़ रहा है। कटरा की विनीता जायसवाल बताती हैं कि दो बच्चों की कक्षाएं दो मोबाइल पर चलती हैं। ऐसे में सुबह ही दोनों मोबाइलों से डेढ़-डेढ़ जीबी डेटा खर्च हो जाता है।
रंजीत गुप्ता, किराना व्यापारी बताते हैं कि बाजार में सामान महंगा हुआ। अनलॉक के कारण तमाम सामान फंसे रहे। जिन जिलों से सामान आना है वहां से सामान अभी पूरी तरह से नहीं आ पा रहा है। इस कारण गल्ला महंगा हो चुका है। हरि शंकर तिवारी, मार्केट एक्सपर्ट का कहना है कि सब्जियों की कीमत को फिलहाल महंगा कहना गलत होगा। यह सीजनल है, लेकिन इतना जरूर है कि कच्चा और तैयार माल महंगा हो गया है। निश्चित तौर पर 10 से 12 फीसदी तक हर घर पर बोझ बढ़ गया। प्रो. पीके घोष, अर्थशास्त्री ने बताया कि लॉकडाउन में उत्पादन नहीं हुआ। ऐसे में कीमत बढ़ना लाजिमी है। पहली बार हुआ है कि जीडीपी में 26 फीसदी की गिरावट आई है। यह ऐतिहासिक है। धीरे-धीरे उत्पादन बढ़ने पर हालात सामान्य होंगे। मौसमी चीजों का दाम निकट भविष्य में नियंत्रण में आ सकता है, लेकिन जिनका उत्पादन लंबे समय में होता है उन वस्तुओं के दाम 2021 के मध्य तक नियंत्रित होने की उम्मीद है। जबकि प्रो. मनमोहन कृष्णा, अर्थशास्त्री बताते हैं कि महंगाई की दर मार्च से अब तक के बीच 7.8 फीसदी बढ़ी है। यह भी फुटकर बाजार में। अगर थोक की बात करें तो कीमतें अभी सामान्य हैं। लेकिन उत्पादन कम होने और मांग लगातार बढ़ने के कारण आने वाले समय में महंगाई की दर और बढ़ सकती है।
यहां भी असर
– कपड़ा महंगा हुआ है। पुराने कपड़े सेल में जरूर सस्ते निकल रहे हैं, लेकिन नए स्टॉक के दाम बढ़ गए हैं।
– लोकल ट्रांसपोर्ट भी महंगा हो गया। सीमित सवारियों के नाम पर टेंपो वाले पांच के बजाए सात रुपये किराया ले रहे हैं।