रियल एस्टेट परियोजनाओं से परेशान उपभोक्ताओं के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में स्पष्ट किया है कि एक उपभोक्ता अदालत को परियोजना को पूरा करने में देरी और उपभोक्ता को निर्धारित समय में कब्जा नहीं देने के मसले पर मुआवजे का आदेश जारी करने का अधिकार है।
रेरा एक्ट उपभोक्ता अदालत में शिकायत दर्ज करने से प्रतिबंधित नहीं करता। अगर रियल एस्टेट डेवलपर समय पर परियोजना पूरी नहीं करता और उपभोक्ता को परेशानी का सामना करना पड़ता है यो यह विषय उपभोक्ता अदालत के दायरे का है।
कोर्ट ने बिल्डर का तर्क ठुकरा दिया कि फ्लैट बायर और बिल्डर के बीच का यह मामला रेरा कानून के तहत उठाया जाना चाहिए था। उसका कहना था कि रेरा एक्ट बनने के बाद से बिल्डर से संबंधित मामले उपभोक्ता संरक्षण कानून, 1986 के तहत नहीं लाए जा सकते। याचिका खारिज करने के साथ कोर्ट ने बिल्डर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है।