बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में चुनावी जनसभा के दौरान नेतागण अब निजी हमले करने लगे हैं। बीते चुनावी सभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लालू परिवार पर दिये बयान पर विवाद खड़ा हो गया है। दरअसल नीतीश ने एक चुनावी जनसभा में कहा था कि एक बेटे के लिए आठ-नौ बच्चे पैदा करने वाले लोगों से क्या विकास की उम्मीद की जा सकती है? नीतीश के इस बात पर पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के पैतृक सेलार कला गांव की महिलाएं नाराज हैं।
गांव की एक बुजुर्ग महिला रामप्यारी देवी ने कहा कि नीतीश कुमार ने अपनी शालीनता खो दी है, वह शिक्षित होने का दावा करते हैं। उनके जैसे व्यक्ति को सार्वजनिक मंच पर इस बारे में कि किसके पास कितने बच्चे हैं, उन्हें बेहतर चीजों के बारे में बात करनी चाहिए।
वहीं चन्द्रकला देवी ने कहा कि पुराने समय में बड़े परिवारों का होना एक परंपरा थी। यहां तक कि नीतीश कुमार के भी भाई-बहन हैं। तीन-चार दशक पहले जो हुआ उसके बारे में किसी को बात नहीं करनी चाहिए। कहा कि अतीत में रहना किसी को आगे नहीं ले जा सकता है।
उधर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के पैतृक निवास फुलवरिया गांव में भी ऐसी ही भावना व्यक्त की गई। स्थानीय वासी पुरुषोत्तम चौधरी ने कहा कि- ऐसा लगता है कि नीतीश अपनी कुर्सी खोने के डर के कारण मूल शालीनता को भूल गए हैं। उन्हें महिलाओं की प्रतिष्ठा के साथ खेलने का अधिकार किसने दे दिया है?
लालू और राबड़ी देवी के गांवों के निवासियों को लगता है कि अगली पीढ़ी के सीएम भी लालू-राबड़ी परिवार से बनने वाले हैं। रामानंद प्रसाद ने कहा – स्थानीय विधायक कहते हैं कि गांवों का विकास हुआ क्योंकि इसमें दो पूर्व मुख्यमंत्री थे। अब, यह तीसरे के लिए समय है। लोग इस समय बदलाव के लिए मतदान कर रहे हैं। फुलवरिया गांव में एक रेलवे स्टेशन, हेलीपैड, भूमि रजिस्ट्री कार्यालय, डाकघर, बैंक, सरकारी स्कूल और रेफरल अस्पताल हैं। लोगों का कहना है कि ये सभी राजद के शासनकाल में बनाया गया था।
एक युवा राकेश कुमार ने कहा कि इस गांव को ब्लॉक का दर्जा मिला है। लेकिन नीतीश ने इस क्षेत्र की उपेक्षा की। अब, तेजस्वी ने रोजगार देने का वादा किया है, यह इस चुनाव में प्रेरक है।
वहीं नीतीश कुमार का बचाव करते हुए, जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि- मुख्यमंत्री ने ऐसा कुछ भी नहीं कहा जिससे उपद्रव किया जाए। उन्होंने हमेशा लड़कियों की शिक्षा पर जोर दिया है और महिला सशक्तीकरण के मुखर रहे हैं।