उत्तर प्रदेश की पुलिस कुख्यात विकास दुबे को नहीं तलाश पाई थी। अब मप्र की पुलिस उसे दबोचने वाले ‘जांबाज’ को नहीं तलाश पा रही है। एक महीने से ज्यादा हो गए, मप्र पुलिस यही पता नहीं लगा सकी कि उज्जैन के महाकाल मंदिर में विकास दुबे को आखिर किसने दबोचा था? वह पुलिस वाला था, मंदिर का सेवादार था, दर्शनार्थी था या कोई और? मप्र पुलिस के अफसर एक-दूसरे के पाले में गेंद फेंक रहे हैं। कोई यह सटीक जवाब नहीं दे रहा कि आखिर वह जांबाज कौन है, जिसने विकास दुबे को पकड़ा? उस पर घोषित ईनाम किसे दिया जाएगा?
कानपुर के गांव बिकरू में 2 जुलाई की रात कुख्यात अपराधी विकास दुबे ने दबिश पर आई पुलिस टीम को गुर्गों के साथ घेर पर अंधाधुंध फायरिंग की और बम चलाए। इसमें सीओ और एसओ समेत आठ पुलिसकर्मी मारे गए। छह घायल भी हुए। पूरे देश में फरार विकास दुबे और उसके गैंग सदस्यों की तलाश हुई। एक-एक कर चार गुर्गे पुलिस मुठभेड़ में मारे गए लेकिन विकास फरार रहा। अचानक 9 जुलाई को वह उज्जैन के महाकाल मंदिर में प्रकट हुआ। बताया गया कि उसे मंदिर के कर्मचारियों ने पकड़ा।
वहीं पुलिस की गिरफ्त में बोला गया विकास का डायलाग ‘मैं विकास दुबे हूं… कानपुर वाला’ पूरे देश में वायरल हुआ। बाद में कानपुर लाते वक्त पुलिस की गाड़ी पलट गई। विकास ने भागने की कोशिश की और मारा गया। पूरे देश में सुर्खियां बने हत्याकांड के मुल्जिम पर घोषित पांच लाख का इनाम किसे दिया जाएगा, साढ़े तीन महीने बाद भी यह तय नहीं हो पा रहा है। जबकि विकास को पकड़ने वाले ‘जांबाज’ की तलाश में कोई दरोगा-सिपाही नहीं मप्र के तीन एएसपी लगाए गए हैं।
विकास दुबे को किसने पकड़ा, यह पता लगाने के लिए एसपी उज्जैन ने एक कमेटी बनाई है। जिसमें तीन एडीशनल एसपी शामिल हैं। यह कमेटी तय करेगी कि इनाम किसे मिलना चाहिए। – राकेश गुप्ता, आईजी, उज्जैन
विकास दुबे को पकड़ने वाले के लिए इनाम का प्रस्ताव उप्र से आया है। यहां एक कमेटी बनाई गई है। कमेटी रिपोर्ट देगी। जिसमें यह तय होगा कि विकास दुबे को पकड़ने का इनाम किसे मिलेगा। – मनीष कपूरिया, डीआईजी, उज्जैन
मैंने अभी कुछ समय पहले पद सम्भाला है। विकास दुबे के बारे में मुझे ज्यादा जानकारी नहीं है। बस यह पता है कि इसके लिए एक कमेटी बनाई गई थी। जिसमें एडीशनल एसपी शामिल हैं। यह कमेटी तय करेगी कि इनाम कौन लेगा। – सत्येन्द्र कुमार, एसपी, उज्जैन
मुझे इस मामले में कोई जानकारी नहीं है। मैं इस प्रकरण को देख नहीं रहा न ही मुझे पता है कि इनाम किसे मिलना है। यह मेरे कार्यक्षेत्र का मामला भी नहीं है। मैं कोई जानकारी नहीं दे सकूंगा। – अमरेन्द्र सिंह, एडीशनल एसपी, उज्जैन