बलिया के जिलाधिकारी श्रीहरि प्रताप शाही बुधवार बिल्कुल देसी अंदाज में नजर आए। कंधे पर गमछा, पैरों में हवाई चप्पल पहन पर कुम्हार के घर पहुंच गए। यहां जमीन पर बैठकर उन्होंने दीवाली के लिए दीए बनाए। यही नहीं, डीएम ने दीपावली के लिए अपने आवास, वहां स्थित कैम्प कार्यालय व कलक्ट्रेट के लिए हजारों दीयों का आर्डर भी दिया।
अपने आवास परिसर में खुद ट्रैक्टर चलाकर मोटे अनाज की खेती करने वाले जिलाधिकारी श्रीहरि प्रताप शाही बुधवार को एक अलग रंग में नजर आए। आवास से इनोवा गाड़ी में सवार होकर निकले तो सीधे बांसडीहरोड क्षेत्र के हरपुर गांव में रामप्रवेश कुम्हार के दरवाजे पर पहुंच गए। उनके साथ उनकी पत्नी व बच्चे भी थे। गर्दन में गमछा लटकाए डीएम चाक के पास बैठ गए। चाक पर बने छेद में लकड़ी डालकर खुद ही उसे नचाया और दोनों हाथों से मिट्टी के दीए बनाने में जुट गए। यही नहीं, अपने बेटे के हाथों भी मिट्टी के दीए बनवाए। डीएम का यह अंदाज देख न सिर्फ रामप्रवेश बल्कि गांव व आसपास के लोग भी हैरान रह गए। यही नहीं, डीएम ने दीपावली के मद्देनजर अपने आवास, वहां स्थित कैम्प कार्यालय व कलक्ट्रेट के लिए हजारों दीयों का आर्डर भी दिया। जिलाधिकारी ने जनपदवासियों से दीपावली के दिन झालर की बजाय मिट्टी के दीए जलाने की अपील भी की। इस दौरान कुम्हारों की मूलभूत समस्याओं को सुना और उनके कल्याण के लिए विशेष पहल करने का भरोसा दिलाया। वहीं चारपाई पर अपने बच्चों के साथ बैठकर कुल्हड़ में चाय की चुस्की भी ली।
डीएम ने निर्णय लिया है कि इस दीपावली पर उनके आवास स्थित कैम्प कार्यालय व कलक्ट्रेट में सिर्फ मिट्टी के ही दिए जलाए जाएंगे। अपनी अपील में डीएम ने कहा है कि पर्यावरण के साथ कुम्हारी कला और दीपावली का असली महत्व कायम रखने के लिए हम सबको ऐसा करना ही चाहिए। वर्तमान में समय वपर्यावरण की आवश्यकता भी यही है। वैसे भी दीवाली मनाने का हम सबका यही पारंपरिक तरीका भी रहा है। इससे दीपावली की चमक बरकरार रहने के साथ किसी की जीविका भी चलेगी और पर्यावरण संतुलन भी ठीक बना रहेगा। कहा कि मान्यता है कि मिट्टी का दीपक जलाने से शौर्य और पराक्रम में वृद्धि होती है और परिवार में सुख समृद्धि आती है।