एक महिला ने शादी के 31 साल बाद घरेलू हिंसा का मुकदमा किया है। महिला की दलील है कि वह लगातार घरेलू हिंसा का शिकार रही लेकिन आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर नहीं होने और दोनों बच्चों की परवरिश की वजह से वह जुल्म सहती रही। अब दोनों बच्चों की शादी हो चुकी है और वे अपने परिवार के साथ सुखी जीवन जी रहे हैं। अब उसे इंसाफ चाहिए। तीस हजारी अदालत ने मामले को गंभीरता से लेते हुए महिला अदालत को निर्देश दिए कि वह गुजाराभत्ता पर तत्काल फैसला करे क्योंकि शिकायतकर्ता गृहिणी है और उसे तुरंत आर्थिक मदद की आवश्यकता है।
तीस हजारी स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संजय शर्मा की अदालत में पति की तरफ से अधिकार क्षेत्र का हवाला देते हुए पत्नी की याचिका को खारिज करने की अपील की गई। उसका कहना था कि उसकी पत्नी पिछले कुछ समय से उससे अलग गाजियाबाद में रह रही है। इसलिए उसके मामले को यहां नहीं सुना जाना चाहिए। इस पर अदालत ने पति को फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि इस उम्र में पत्नी का घरेलू हिंसा का आरोप लगाना शर्मनाक होना चाहिए। पिछले 31 साल से दोनों दिल्ली में रह रहे हैं तो घरेलू हिंसा भी तो दिल्ली में ही हो रही थी। फिर मुकदमा दिल्ली में क्यों नहीं चलना चाहिए? अदालत ने कहा कि महिला को उम्र के इस पड़ाव में शांति व सुकून चाहिए, लेकिन अब भी वह कथित तौर पर हिंसा का शिकार हो रही है।
दंपति की उम्र 60 साल
सत्र अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता महिला गृहिणी है और उसे तुरंत आर्थिक मदद चाहिए। इसलिए महिला अदालत जल्द से जल्द सुनवाई कर अंतरिम गुजाराभत्ता याचिका पर फैसला करे। साथ ही घरेलू हिंसा के मामले को भी जल्द निपटाया जाए, क्योंकि दंपति की उम्र 60 साल के करीब है। अदालत ने दोनों पक्षों को कहा कि वे सुनवाई पर बेवजह तारीखें लेना बंद करें। अन्यथा उन पर अदालत का समय व असुविधा के लिए एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।