भारत-चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव कम होने के आसार नहीं दिख रहे हैं। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने पैंगोंग त्सो के उत्तरी तट पर सैनिकों की गतिविधियां बढ़ा दी हैं। इससे तो यह साफ जाहिर होता है कि फिलहाल चीन की योजना पीछ हटने या गतिरोध कम करने की नहीं है। आपको बता दें कि आज भारत और चीन के बीच सैन्य कूटनीतिक वार्ता का सातवां दौर चुशुल में शुरू होगा।
सैन्य कमांडरों के अनुसार, पीएलए ने तैनात फोर्स के मनोबल को बनाए रखने के लिए फिंगर प्वाइंट चार पर पैंगोंग त्सो के उत्तर में एक अतिरिक्त ब्रिगेड की तैनाती की है। उन्होंने कहा, “यह देखते हुए कि दोनों पक्षों को फिंगर प्वाइंट चार पर लगभग 18,000 फीट पर तैनात किया गया है और मौसम बिगड़ रहा है। पीएलए एक समय में 200 सैनिकों की गतिविधियां कर रहा है ताकि फ्रंट-लाइन सैनिकों का मनोबल बढ़ाया जा सके। इसका साफ मतलब है कि पीएलए के पास इस सर्दी में कम से कम विघटन की कोई योजना नहीं है।”
भारत-चीन के बीच कोर कमांडर स्तर के सातवें दौर की वार्ता आज होगी। इस बैठक में भारत पड़ोसी देश पर जल्द से जल्द और पूरी तरह से सैनिकों को वापस बुलाने के लिए दबाव बनाएगा। दोनों देशों के बीच में पूर्वी लद्दाख की वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर पिछले कई महीनों से गतिरोध चल रहा है।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि पूर्वी लद्दाख में भारत की ओर चुशूल सेक्टर में दोपहर 12 बजे से बातचीत चालू होगी। भारत की ओर से इस वार्ता का एजेंडा पूरी तरह से साफ है, जिसमें सभी विवादित इलाकों से सैनिकों का डिस-एंगेजमेंट शामिल है। चाइना स्टडी ग्रुप (CSG), जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, सीडीएस प्रमुख जनरल बिपिन रावत और तीन सेना के प्रमुख शामिल हैं, ने शुक्रवार को सैन्य वार्ता के लिए भारत की रणनीति को अंतिम रूप दिया।
CSG चीन पर भारत की प्रमुख पॉलिसी मेकिंग बॉडी है। सूत्रों ने कहा कि भारत चीन द्वारा पैंगोंग झील के दक्षिणी तट पर कई रणनीतिक ऊंचाइयों से डिस-एंगेजमेंट प्रक्रिया को शुरू करने के लिए भारतीय सैनिकों की वापसी की किसी भी मांग का पुरजोर विरोध करेगा।