बिहार चुनाव में इस बार गठबंधन की भी परीक्षा होगी। छोटी-बड़ी सभी पार्टियां गठबंधन में चुनाव लड़ रही है। कई दल चुनाव की तारीखाें का ऐलान होने के पहले से ही गठबंधन में है ताे कई दल बाद में साथ आए। टिकट वितरण में भी आरोप-प्रत्यारोप लगाकर कई दलों ने अपना साथी बदल लिया। एनडीए और महागठबंधन के अलावा बिहार में इस बार ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट और प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन मैदान है। लोजपा पहले ही एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है। ऐसे मे अब यह सवाल उठन लगा है कि क्या ये गठबंधन चुनाव परिणाम के बाद भी रहेगा ?
सत्ता में वापसी की कोशिश में लगी राजद ने पिछले चुनाव में ही महागठबंधन बनाया था। भाजपा और जदयू को कुर्सी से हटाने के लिए महागठबंधन में इस बार वामपंथी दलों को भी साथ लिया गया है। वहीं एनडीए में भी इस चुनाव में दो दल आए हैं। वीआईपी के मुकेश साहनी, हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के जीतन राम मांझी ने इस बार फिर एनडीए के साथ हैं। वहीं चिराग अभी अकेले जरूर चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन वह पहले ही कह चुके हैं बिहार में भाजपा और लोजपा की सरकार बनेगी। चिराग का यह संकेत काफी है कि चुनाव परिणाम के बाद गठबंधन का स्वरूप बदल सकता है।
रालोसपा के उपेंद्र कुशवाहा, बहुजन समाजवादी पार्टी की मायावती, एआईएमआईएम के असद्दीन ओवैसी, जनवादी पार्टी सोसलिस्ट के डा संजय चौहन और सोहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने भी गठबंधन बनया है। उपेंद्र कुशवाहा चुनाव से पहले महागठबंधन में थे, वहां पटरी नहीं खाई तो अलग हो गए, चर्चा थी कि एनडीए में भी जाने की कोशिश किए लेकिन वहां नीतीश कुमार की वजह से उनकी इंट्री नहीं हो पाई।
चुनाव से पहले ही पीडीए गठबंधन से अलग हुई इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग
जाप (लो) अध्यक्ष पप्पू यादव के संयोजन में बनी प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन (पीडीए) से इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, बिहार अलग हो गई है। पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस में पार्टी के राष्ट्रीय सचिव सह प्रदेश अध्यक्ष नईम अख्तर ने इसकी घोषणा की। उन्होंने कहा कि पीडीए गठबंधन से अलग होने का उन्हें दुख है क्योंकि यह सांप्रदायिक शक्तियों को सत्ता में आने से रोकने के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा कि पीडीए से अलग होने का मुख्य कारण गठबंधन का न्यूनतम साझा कार्यक्रम तय नहीं होना, चुनावी क्षेत्रों के बंटवारे पर मतभेद, एसडीपीआई की पीएफआई इकाई की विवादास्पद मामलों पर हो रहे हंगामा एवं राष्ट्र के विभिन्न हिस्सों से इसपर पाबंदी लगाने की मांग पर पीडीए के सहयोगी पार्टियों की छवि खराब हो रही है।