राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार को मंदिर के पुजारी की हत्या की जांच सीआईडी-सीबी से कराने का निर्देश दिया। गहलोत ने इस पूरे मामले की जांच सीआईडी-सीबी के पुलिस अधीक्षक विकास शर्मा की देखरख में करवाए जाने के निर्देश दिए हैं।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आरोप लगाया कि यह निंदनीय है कि भाजपा ने दो परिवारों के बीच भूमि विवाद से हुई सपोटरा के बुकना गांव की दुखद घटना को मीणा और वैष्णव समाज के बीच जातीय विद्वेष का रूप देने का कुत्सित प्रयास किया। इससे राजस्थान की छवि अनावश्यक रूप से धूमिल हुई है।
एक बयान में मुख्यमंत्री ने कहा कि यह घटना कोई जातीय संघर्ष नहीं था, न ही कोई पूर्व नियोजित प्रकरण था। यह भूमि के टुकड़े पर कब्जे को लेकर दो परिवारों के बीच का झगड़ा था, जो इस हृदय विदारक घटना में बदल गया।
उन्होंने कहा कि इस घटना से एक दिन पहले छह अक्टूबर को इस भूमि के विवाद को लेकर गांव के लोगों की पंचायत भी हुई थी, जिसमें मीणा समाज के लोगों का बाहुल्य था। मीणा समाज और अन्य लोग पुजारी बाबूलाल वैष्णव के साथ थे और बहुसंख्यक मीणा समाज की पंचायत ने भूमि के संबंध में बाबूलाल वैष्णव तथा राधागोपालजी मंदिर के हक में ही अपनी सहमति व्यक्त की थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस सरकार मंदिर के अधीन आने वाली जमीनों पर पुजारियों के हितों के संरक्षण के लिए सदैव प्रयासरत रही है। वर्ष 1991 में तत्कालीन भाजपा की सरकार ने एक आदेश जारी कर मंदिर माफी की जमीनों पर पुजारियों के नाम राजस्व रिकॉर्ड से हटाने के निर्देश दिए थे। वहीं कांग्रेस चाहे सरकार में रही हो या विपक्ष में उसने सदैव मंदिर की भूमि के संबंध में पुजारियों के हितों की पैरवी की।
उल्लेखनीय है कि भूमि विवाद में पुजारी वैष्णव को बुधवार को कथित तौर पर आग लगा दी गई जिनकी बृहस्पतिवार को यहां एसएमएस अस्पताल में मौत हो गयी। आरोप है कि मंदिर के पास की खेती जमीन पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे लोगों ने पुजारी पर पेट्रोल छिड़क कर आग लगा दी थी।