ई-मेल, व्हाट्सएप व सोशल मीडिया के दौर में अप्रासंगिक हो रही डाक सेवा महामारी के समय सबसे बड़ी जीवन रक्षक साबित हुई। लॉकडाउन के समय जब पूरा भारत घरों में पाबंद था, तब डाक सेवा ने दवाइयों से लेकर मेडिकल किट तक अस्पतालों में पहुंचाई। डाककर्मी पोस्टल वैन के जरिए गांव-गांव पहुंचे, घर-घर जाकर लोगों को पैसे मुहैया कराए। इससे न सिर्फ संक्रमण रोकने में मदद मिली बल्कि हजारों लोगों की जान बचाई जा सकी।
कोरोना योद्धा बन गए डाककर्मी
लॉकडाउन हुआ तो डाककर्मी कोरोना योद्धा बन गए। टेस्टिंग किट से लेकर वेंटिलेटर तक पहुंचाने की बात हो या फिर घर-घर लोगों को पैसे पहुंचाने की, उन्होंने लोगों की खूब मदद की। अकेले लॉकडाउन के दौरान देशभर में एक हजार करोड़ रुपये से ज्यादा मनीआर्डर घर-घर पहुंचाया ताकि लोगों को बाहर न निकलना पड़े। नकदी की होम डिलीवरी ने कई पेंशनभोगी लोगों को भारी राहत पहुंचाई। खासकर गंभीर रूप से बीमार लोगों की मदद की। इंडिया पोस्ट वैकल्पिक बैंकिंग प्रणाली के तौर पर उभरी। एक रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 20 हजार करोड़ से ज्यादा नकदी इसके तहत लोगों तक पहुंचाई गई। इसमें फिलहाल 30 करोड़ खाते हैं और ज्यादातर पेंशनभोगियों को डाकघरों के जरिए ही पेंशन मिलती है।
चेहरे पर खुशी देखकर खिल उठता था मन
चाणक्यपुरी पोस्ट ऑफिस में डाक सेवाओं के सहायक अधीक्षक अशोक कुमार कहते हैं कि हमारे पास मानव सेवा का यह सबसे बड़ा अवसर था। हमने पूरी ताकत झोंक दी। कई तरह की दिक्कतें थीं, लेकिन सभी कर्मचारियों को सैनिटाइजर, दस्ताने, मॉस्क जैसे उपकरण दिए। अलग-अलग पाली में काम शुरू किया ताकि लोगों तक जरूरी दवाओं व सामान पहुंचाया जा सके। आज भी हमारे डाककर्मी पूरी शिद्दत के साथ लगे हुए हैं। उस समय चिट्ठियां या सामान मिलने के बाद लोगों के चेहरे पर जो खुशी देखने को मिलती थी वह देखकर मन खिल उठता था।
झारखंड : 14 टन मेडिकल उपकरण अस्पतालों में पहुंचाया
लॉकडाउन में पार्सल समय पर पहुंच जाएं, इसके लिए डाक विभाग ने रोड ट्रांसपोर्ट नेटवर्क का विस्तार किया। मुख्य रूप से हावड़ा-झारखंड-बिहार को जोड़ा गया और 14 टन मेडिकल उपकरण अस्पतालों तक पहुंचाए गए। साथ ही सिर्फ आधार का सहारा लेते हुए छह लाख बार खातों से पैसे निकाले गए व लोगों तक पहुंचे। करीब 112.38 करोड़ रुपये का वितरण किया गया।
फरीदाबाद : विशेष वाहनों से पहुंचाईं दवाएं
विशेष वाहन चलाकर अस्पताल और घरों में दवाइयां पहुंचाईं, वहीं पैसों की दिक्कत दूर करने के लिए ट्रांजेक्शन आधार अनेबल पेमेंट सिस्टम (एईपीएस) के तहत मोबाइल बैंकिग वैन चलाई। वैन के जरिए लोगों को घर जाकर वित्तीय सुविधा मुहैया करवाई। इसमें पेंशन वाले लोगों को विशेष लाभ मिला। फरीदाबाद डाक विभाग के सहायक अधीक्षक जितेंद्र कुमार राजन ने यह जानकारी दी।
गुरुग्राम : घर बैठे उपभोक्ताओं तक पहुंचाए पांच करोड़ रुपये
लोगों की आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए डाक विभाग ने घर बैठे अपने खाते से दस हजार रुपये तक निकालने की सुविधा शुरू की। 20 से ज्यादा डाककर्मियों ने घर-घर जाकर लोगों तक ये पैसे पहुंचाए। करीब पांच करोड़ रुपये का वितरण किया गया। इतना ही नहीं, 20 हजार से ज्यादा दवाइयों की किट व पार्सल अस्पतालों में व लोगों के घरों तक भी पहुंचवाए गए।
उत्तराखंड : डाक विभाग ने 85 हजार लोगों के खोले खाते
देहरादून में डाककर्मियों ने जबरदस्त काम किया। लॉकडाउन के दौरान 85 हजार प्रवासियों के खाते खोले, जबकि दूसरे बैंक के खाताधारकों को डाक विभाग के माध्यम से करीब सवा तीन करोड़ रुपये भी वितरित किए। देहरादून और हरिद्वार जिले से करीब 15 हजार आवश्यक सेवा से जुड़े पार्सल बाहर भेजे गए। इनमें ज्यादातर दवाएं, कोरोना किट और आवश्यक सामान थे।
बिहार : दुर्गम राहों से चलकर लोगों तक पहुंचे
डाक विभाग बिहार में जरूरतमंदों के लिए मसीहा बनकर आया। लॉकडाउन में जब यातायात के सारे संसाधन बंद थे तो बिहार डाक सर्किल ने पोस्टल वैन की कन्याकुमारी से लेकर जम्मू और सौराष्ट्र से लेकर शिलांग तक चेन बना दी। इससे दवा, मेडिकट किट, मास्क, सैनिटाइजर, पीपीई किट, काढ़ा और वेंटिलेटर से लेकर पेंशन और खाते में जमा राशि पहुंचाने का काम किया जा रहा है।