शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह दागी नेताओं के मुकदमे तेजी से निपटाने के लिए अदालतों को सुविधाएं उपलब्ध कराए। ये मुकदमे जनता के सिर पर बोझ हैं। जस्टिस एनवी रमन की पीठ ने केंद्र से कहा कि वह मामलों के तेजी से निपटारे की बात तो करता है, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाता। इसी के साथ केंद्र को इस मुद्दे पर अंतिम कदम उठाने और कोर्ट को सूचित करने को कहा।
कोर्ट ने कहा कि कई हाईकोर्ट ने मांग की है कि लंबित मामलों को तेजी से निपटने के लिए वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुविधा दी जाए। कोर्ट ने केंद्र से कहा की वह इस बारे में फैसला ले और बताए की इसके लिए कैसे फंडिंग की जाएगी। रिपोर्ट में यह भी इंगित किया गया है कि पुलिस कानून निर्माताओं के खिलाफ कार्रवाई करने में सकुचाती और डरती है। यह गंभीर मामला है। केंद्र सरकार को इस मामले में भी ध्यान देने की जरूरत है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि अदालत सभी राज्यों के डीजीपी को निर्देश जारी करे जिससे समन समय से तामिल हो सके। अमिकास क्यूरी वकील ने कल कोर्ट में रिपोर्ट दायर की थी। उन्होंने कहा था कि कोर्ट की मॉनिटिरिंग के बावजूद नेताओं के खिलाफ आपराधिक लंबित केस बढ़ रहे हैं और अब इनकी संख्या 4859 हो गई है।
केंद्र सरकार ने जवाब देने के लिए कुछ समय मांगा जिस पर कोर्ट ने मामले को 10 दिन के लिए स्थगित कर दिया। कोर्ट नेताओं के खिलाफ लंबित आपराधिक मुकदमे तेजी से निपटाने की याचिका पर सुनवाई कर रहा है। यह याचिका वकील अश्वनी उपाध्याय ने दायर की है।