ब्रेस्टफीडिंग केवल शिशु के ही बहुत जरूरी नहीं बल्कि मां के लिए भी उतना ही जरूरी होता है। मांं का दूध बच्चे के लिए अमृत से कम नहीं है। इससे ब्च्चे में बीमारियों से लड़ने की शक्ति पैदा होती है। ब्रेस्टफीडिंग कराना शिशु के लिए भूख कम करने के साथ दवा की तरह काम करता है।
ब्रेस्टफीडिंग कराने से महिलाओं के अंदर एक गुड हार्मोन निकलता हे और ये हार्मोन दिल और दिल से जुड़ी बीमारियों से बचाने में कारगर है।
ब्रेस्टफीडिंग से वेट तेजी से कम होता है। प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भवती का जितना वेट बढ़ा होता है, ब्रेस्टफीडिंग कराते हुए अपने आप कम होता जाता है।
मां का दूध शिशु आसानी से पचा लेता है लेकिन गाय या डब्बे का दूध उसे पचाने में कठिनाई होती है। इससे शिशु को गैस, कब्ज, दस्त जैसी समस्याएं होने लगती हैं।
ब्रेस्टफीडिंग से ब्रेस्ट कैंसर ही नहीं प्री-मेनोपॉज, ओवरी कैंसर,डायबिटीज और हाइपरटेंशन जैसी जानलेवा बीमारियों का खतरा कम होता है।
शिशु को ब्रेस्टफीडिंग कराने से मां का शरी र संतुलित और सुंदर बनता है। इससे मां और बच्चा दोनों ही स्वस्थ और सुंदर बनते हैं।