आदेशों के बावजूद ग्रेटर कैलाश भाग-2 में बेसमेंट में भरे पानी को निकालने के लिए समुचित कदम नहीं उठाने पर उच्च न्यायालय ने दक्षिणी दिल्ली नगर निगम को कड़ी फटकार लगाई। न्यायालय ने कहा है कि पानी निकालने के लिए नगर निगम की ओर से उठाए कदम आत्मविश्वास नहीं जगाते। जस्टिस नज्मी वजीरी ने अपने आदेश में कहा है कि दक्षिणी दिल्ली नगर निगम इस मसले के लिए मुख्य निकाय है और जल निकासी की समस्या उसकी जिम्मेदारी है और वह अपनी जिम्मेदारी दूसरों पर थौंप नहीं सकते।
उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग को भी रेजीडेंट वेल्फेयर एसोसिएशन के तीन सदस्यों के साथ बातचीत करने और जल निकासी, नालियों को साफ करने का निर्देश दिया है। साथ ही, इसकी वीडियो रिकार्डिंग भी करने का आदेश दिया है। न्यायालय ने लोक निर्माण विभाग को तस्वीरें लेने के लिए ड्रोन कैमरे का इस्तेमाल करने और जल निकासी व नालियों को साफ करने के लिए निगम के साथ काम करने को कहा है। इसके साथही नगर निगम को आड़ें हाथ लेते हुए जस्टिस वजीरी ने कहा कि पानी को बाहर निकालने के लिए एसडीएमसी द्वारा किए गए उपाय पूरी तरह से अपर्याप्त हैं।
उन्होंने कहा कि इलाके में लोगों के घरों के बेसमेंट में पानी भरने के चलते रहने लायक नहीं रहा है और इससे लोगों को परेशानियों का सामना करना होता है। न्यायालय ने कहा है कि नगर निगम ने अतिरिक्त पानी निकालने के लिए पानी के पंपों की क्षमता बढ़ाने के अलावा कुछ भी नहीं किया है। न्यायालय ने नगर निगम को उन याचिकाकर्ताओं और लोगों के घरों का दौरान करने का निर्देश दिया है जिनके घरों में जलभराव वाले बेसमेंट की तस्वीरें याचिका के साथ लगाए गए हैं। इसके साथ ही ग्रेटर कैलाश भाग-2 निवासी साधना मोहन एवं अन्य लोगों ने द्वारा दाखिल याचिका पर विचार करते हुए उच्च न्यायालय ने यह आदेश दिया है। याचिका में लोगों के घरों के बेसमेंट एवं आसपास पानी भरने से की शिकातय करते हुए नगर निगम व अन्य विभागों को आदेश देने की मांग की है।