बिहार विधानसभा चुनाव-2020 के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा जनसभाओं का भी आयोजन भी किया जा सकेगा। मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा कि कोरोना काल के दौरान होने वाले इस चुनाव में सिर्फ वर्चुअल चुनाव प्रचार होने की बात गलत है। अगर ऐसा होता तो आयोग इतनी मेहनत क्यों करता, क्यों बैठकें इतनी की जातीं। आयोग ने जनसभा व रैलियों को लेकर सभी जिलों के जिलाधिकारी से उपलब्ध हॉल व ग्राउंड की सूची तैयार करायी है। कुछ स्थानों पर मैदानों में गोलाकार चिह्न भी बनाए गए हैं।
उन्होंने कहा कि बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (सीईओ) को निर्देश दिया गया है कि सभी प्रमुख मैदानों की सूची मुख्य अखबारों में छपवा दें। जिलाधिकारी जनसभा के दौरान सामाजिक दूरी व अन्य दिशा-निर्देशों का पालन कराएंगे। कहा कि हमने सीईओ से कहा है कि एक हेलीकॉप्टर उपलब्ध करा दें तो किसी भी दिन किसी जिले के मैदान का औचक निरीक्षण करेंगे। श्री अरोड़ा गुरुवार को बोधगया में नक्सल प्रभावित 12 जिलों की चुनाव तैयारियों की समीक्षा और राज्य के मुख्य सचिव व अन्य आलाधिकारियों के साथ बैठक के बाद पटना में पत्रकारों से बात कर रहे थे।
चुनाव खर्चों की निगरानी होगी
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि चुनाव खर्चों की निगरानी को लेकर दो विशेष पर्यवेक्षक (व्यय) नियुक्त किए जाएंगे। इनमें एक मधु महाजन व बालाकृष्णन शामिल हैं। इन्हें स्वतंत्र पर्यवेक्षक के रूप में आयोग कर्नाटक व महाराष्ट्र में भी चुनाव के दौरान तैनात कर चुका है। अधिकारियों को खर्चों वाले अत्यंत संवेदनशील निर्वाचन क्षेत्रों की पहचान और प्रभावी व्यवस्था करने के निर्देश दिये गए हैं। जहां जरूरत होगी विशेष व्यय पर्यवेक्षक भेजे जाएंगे। राज्य में 28 जिलों में 91 व्यय संवेदनशील निर्वाचन क्षेत्र चिह्नित की गयी है। चुनाव पर्यवेक्षकों की तैनाती कर दी गयी है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने बताया कि राज्य सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है कि निर्वाचनकर्मियों की कोरोना से मौत होने पर 30 लाख रुपये मुआवजा राशि का भुगतान किया जाएगा।