उच्च न्यायालय ने गुरुवार को दिल्ली विश्वविद्यालय को 2017 से पहले स्नातक करने वाले छात्रों को कब तक डिग्री जारी की जाएगी, इस बारे में समय सीमा तय करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही इस साल स्नातक करने वाले छात्रों को डिग्री कब तक मिल जाएगी,यह भी बताने का निर्देश दिया है। जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह ने डीयू से कहा कि एक ऐसा तंत्र होना चाहिए जो उन छात्रों को ऑनलाइन डिग्री और ट्रास्क्रिप्ट जारी करने के बारे में हलफनामा दाखिल करने को कहा है जिन्हें तत्काल इसकी जरूरत है।
उन्होंने यह आदेश तब दिया जब बताया गया कि डीयू में 2017 से पहले और 2019 तक स्नातक की पढ़ाई पूरी करने वाले छात्रों को डिग्री नहीं दी गई है। न्यायालय ने आनलाइन डिजिटल डिग्री प्रमाणपत्रों को देखा जो सिर्फ एक भाष अंग्रेजी में जारी किया जा रहा, जबकि पहले डिग्री प्रमाण पत्र अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषाओं में उल्लेखित होता था। उच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि आनलाइन डिग्री प्रमाण पत्र के दोनों प्रारूप चाहे वह सिर्फ अंग्रेजी में हो या दोनों भाषाओं में, छात्रों को अपने संबंधित विश्वविद्यालयों / प्राधिकरणों को विदेशी देशों में प्रस्तुत करने के लिए मान्य होंगे और वर्तमान आदेश का उपयोग उक्त उद्देश्य के लिए किया जा सकता है।
इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई 20 अक्तूबर तक के लिए स्थगित कर दी। इससे पहले, उच्च न्यायालय ने पिछले कई सालों से डिग्री पाने के इंतजार कर रहे छात्रों को आनलाइन डिजिटल डिग्री जारी करने का आदेश दिया था। न्यायालय ने डिजिटल डिग्री के लिए पोर्टल पर आवेदन करने के 7 दिन के भीतर डिग्री जारी करने का आदेश दिया था। न्यायालय ने कई छात्रों की ओर से दाखिल याचिकाओं पर विचार करते हुए यह आदेश दिया था।
डीयू ने 14 हजार डिग्री प्रिंट करने का दिया आदेश
डीयू ने उच्च न्यायालय को बताया कत 2017 में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने वाले छात्रों के लिए 14 हजार डिग्री प्रिंट होने का आदेश दिए गए हैं। साथ ही कहा कि छात्रों को जल्द यह जारी किया जाएगा। इसके साथ ही डीयू ने डिजिटल डिग्री के लिए 1500 रुपये शुल्क निर्धारित किया है। हालांकि बाद में डीयू ने न्यायालय को कहा कि वह इस पर पुनर्विचार करेगा।