हाथरस गैंगरेप पीड़िता के साथ बलात्कार नहीं हुआ था, यह कहना है प्रदेश के एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार का। फॉरेंसिक रिपोर्ट के हवाले से प्रदेश के एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार ने कहा है कि हाथरस मामले में बालिका की मौत की वजह गले में चोट लगने से होने वाला ट्रॉमा है। उसके साथ दुष्कर्म की घटना नहीं हुई थी। अब सवाल उठता है कि अगर हाथरस कांड की पीड़िता के साथ बलात्कार नहीं भी हुआ था तो क्या अब रेप का मामला चलेगा? कानूनी विशेषज्ञों ने उत्तर प्रदेश पुलिस की इस थ्योरी को खारिज कर दिया है कि हाथरस की पीड़िता के शरीर पर शुक्राणु नहीं मिलने का मतलब है कि उसके साथ बलात्कार नहीं हुआ।
वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन और विकास पाहवा ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा कि हाथरस की कथित सामूहिक बलात्कार की पीड़िता के शरीर पर शुक्राणु की अनुपस्थिति, जैसा कि पुलिस ने फोरेंसिक रिपोर्ट में दावा किया है, का आरोपियों पर इस अपराध के लिए अभियोजन चलाने पर कोई असर नहीं होगा क्योंकि मरते समय उसने जो बयान दिया, उस पर अविश्वास नहीं किया जा सकता।
जॉन ने कहा, ‘(सीमन नहीं पाया गया) तो क्या? बलात्कार के अपराध के लिए उसकी मौजूदगी जरूरी नहीं। और तो और, मृत्यु पूर्व दिया गया बयान है।’ उन्होंने कहा, ‘मृत्यु पूर्व दिये गये बयान को खारिज करने के लिए कुछ असाधारण सबूत की जरूरत होगी।’ पाहवा की भी ऐसी ही राय है। उन्होंने कहा, ‘शरीर को धोया जा सकता है, साफ किया जा सकता है। यह इस पर निर्भर करता है। यह भी देखना होगा कि अपराध और मेडिकल परीक्षण में कितने समय का फासला है? यदि बलात्कार के तुरंत बाद मेडिकल परीक्षण होता है तो शुक्राणु मिलते हैं, अन्यथा नहीं।’
एडीजी ने क्या-क्या कहा था
प्रदेश के एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार ने गुरुवार को कहा कि हाथरस मामले में बालिका की मौत की वजह गले में चोट लगने से होने वाला ट्रॉमा है। उसके साथ दुष्कर्म की घटना नहीं हुई थी। प्रारंभिक मेडिकल रिपोर्ट, दिल्ली के सफदरजंग हॉस्पिटल की पोस्टमार्टम रिपोर्ट और विधि विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) में हुए गहन परीक्षण रिपोर्ट से इसकी पुष्टि हुई है। तीनों ही रिपोर्ट में बालिका के साथ दुष्कर्म के प्रमाण नहीं मिले हैं।
उन्होंने बताया कि दिल्ली के अस्पताल से प्राप्त पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार पीड़िता की मृत्यु का कारण गले में चोट लगने से होने वाला ट्रॉमा है। पुलिस को अब एफएसएल की रिपोर्ट भी मिल गई है। इस रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि जो सैंपल एकत्रित किए गए थे, उससे दुष्कर्म की पुष्टि नहीं होती है। एडीजी ने कहा कि कुछ अराजकतत्वों ने गलत नीयत से प्रदेश में जातीय तनाव पैदा करने के लिए माहौल खराब करने की कोशिश की। हालांकि पुलिस ने शुरू से इसमें प्रभावी कार्रवाई की। आगे भी विधिक कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि ऐसे लोगों की पहचान की जाएगी जो प्रदेश में सामाजिक सद्भाव बिगाड़ना और जातीय हिंसा फैलाना चाहते थे। जवाबदेह अधिकारियों के कहने के बावजूद वे अपने तरीके से गलत तथ्यों को पेश कर रहे थे।
एसआईटी करेगी साजिश का पर्दाफाश
एडीजी ने कहा कि हाथरस प्रकरण की संवेदनशीलता को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एसआईटी का गठन किया है। एसआईटी में गृह सचिव स्तर के अधिकारी, डीआईजी स्तर के अधिकारी और एक महिला एसपी स्तर के अधिकारी शामिल हैं। एसआईटी की तहकीकात में निश्चित ही साजिश का पर्दाफाश होगा। माहौल बिगाड़ने की कोशिश करने वालों की पड़ताल भी जारी है। मुख्यमंत्री ने हाथरस मामले की तह तक जाकर जांच करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि इस घटना के अपराधियों को ऐसा दंड मिले, जो आने वाले समय में नजीर बने। क्राइम इन इंडिया के ताजा आंकड़ों का हवाला देते हुए एडीजी लॉ एंड ऑर्डर ने कहा कि महिला संबंधी अपराध में जो कनविक्शन की दर है, इस मामले में उत्तर प्रदेश 2018 में भी प्रथम स्थान पर था और इस वर्ष भी है।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में क्या था
उत्तर प्रदेश के हाथरस गैंगरेप मामले की पीड़िता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ चुकी है। दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान सबुह 6:15 बजे हार्ट अटैक होने के कारण उसकी मौत हो गई थी। सोमवार को उसे दोपहर 3:39 बजे इमरजेंसी विभाग के आइसीयू-2 में भर्ती किया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसा प्रतीत होता है कि पीड़िता का गला दबाने के कारण गले की रीढ़ की हड्डी टूट गई थी। पीड़िता को हार्ट अटैक भी हो चुका था और फेफड़ा भी ठीक से काम नहीं कर पा रहा था। इस वजह से वह खुद से ठीक से सांस नहीं ले पा रही थीं। जिस वक्त अस्पताल लाया गया उस दौरान पीड़िता के शरीर में ऑक्सीजन का स्तर महज 50 फीसद था। इस वजह से पीड़िता की हालत बहुत खराब थी। यही कारण है कि उसे तुरंत आइसीयू में भर्ती कर वेंटिलेटर सपोर्ट दिया गया। इसके बाद सुबह 5:30 बजे कार्डियक अरेस्ट हुआ। डॉक्टरों ने सीपीआर (कार्डियक पल्मोनरी रेससिटेशन) देकर बचाने की कोशिश की लेकिन उसकी मौत हो गई। अस्पताल प्रशासन ने पीड़िता की जीभ कटे होने की बात से इनकार किया है। अस्पताल के डॉक्टरों ने मंगलवार सुबह 6 बजकर 15 मिनट पर पीड़िता को मृत घोषित किया था। डॉक्टरों ने बताया कि पीड़िता की गर्दन पर गहरे जख्म थे। उसकी रीढ़ की हड्डी में भी गम्भीर चोट लगी थी।