प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर के जरिये लोगों को रेलवे का तत्काल टिकट दिलवाने वाले गिरोह के छह सदस्यों को गाजियाबाद आरपीएफ ने ग्रेटर नोएडा के देवाल गांव से गिरफ्तार किया है। इनके पास से प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर और तत्काल ई-टिकट बरामद किए गए हैं। फर्जी सॉफ्टवेयर बनाने वाला आरोपी आईपी यूनिवर्सिटी से बीसीए ग्रेजुएट बताया गया है।
आरपीएफ गाजियाबाद प्रभारी पीकीजीए नायडू ने बताया कि उन्हें सूचना मिली थी कि फर्जी तरीके से सॉफ्टवेयर के जरिये तत्काल टिकट बुक हो रहे हैं। उनकी टीम इसकी ट्रैकिंग में जुट गई। टीम ने ग्रेटर नोएडा के देवला गांव में छापेमारी की। यहां से सादान अली, अनिल यादव, बादल सिंह व रूपेश यादव सहित छह लोगों को रेलवे की तत्काल टिकट के साथ गिरफ्तार कर लिया।
बरामद टिकट 8578 रुपये की हैं। इसके साथ ही इनसे पांच लोगों की फर्जी आईडी व लैपटॉप बरामद हुआ है। पूछताछ के दौरान बताया गया कि पूरे गिरोह का संचालन अनिल यादव करता था। सादान अली आईपी यूनिवर्सिटी से बीसीए ग्रेजुएट है और फर्जी सॉफ्टवेयर और वेब डिजाइनिंग करता है। बादल सिंह एजेंट के रूप में ऑनलाइन सॉफ्टवेयर बेचते हैं। इसके साथ ही क्षेत्र के शिवा एंटरप्राइजेज पर छापा मारकर शिवराम को भी गिरफ्तार कर लिया। उसके पास से 13 ई-टिकट मिले। वहीं आदित्य मोबाइल सेंटर से आदित्य सिंह को पकड़ा। उसके पास से 22 कन्फर्म टिकट बरामद हुए हैं। यह सभी एक साथ मिलकर काम करते थे।
ऐसे चलता था पूरा नेटवर्क
अनिल यादव पूरे गिरोह का सरगना है। वह मोबाइल नंबर उपलब्ध कराता था। सादान अली अपने फर्जी सॉफ्टवेयर पर फर्जी नंबर की आईडी जनरेट करता था। यह सॉफ्टवेयर इस तरीके से बने होते हैं कि रेलवे तत्काल साइट खुलते ही सबसे पहले साइट को क्रैक करके टिकट बना देते हैं। एक बार टिकट बबने के बाद आईडी को सॉफ्टवेयर से समाप्त कर दिया जाता था। एक साथ कई ई-टिकट बन जाते थे।