भारत-चीन के बीच लद्दाख (India-China Standoff) में तनाव की स्थिति को कम करने के लिए लगातार बैठकों का दौर चल रहा है। अप्रैल महीने से जारी तनावपूर्ण माहौल के बीच दोनों देश राजनयिक, सैन्य स्तर पर वार्ता करके स्थिति को बेहतर बनाने की कोशिश में हैं। हालांकि, चीन के हालिया बयानबाजी से ऐसा प्रतीत नहीं होता है कि वह भारत के साथ रिश्तों की कड़वाहट को दूर करना चाहता है। वह लद्दाख में मिल रही नाकामी के बीच बौखलाहट दिखाते हुए भड़ास निकाल रहा है। आदत से मजबूर चीन ने लद्दाख को लेकर बयानबाजी की है।
चीन के विदेश मंत्रालय ने लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने पर कहा है कि वह इसे मान्यता नहीं देता है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा, ”चीन भारत द्वारा अवैध रूप गठित किए गए तथाकथित केंद्र शासित लद्दाख को मान्यता नहीं देता है। वहीं, चीन सैन्य नियंत्रण उद्देश्यों के लिए विवादित सीमा क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के निर्माण का भी विरोध करता है।” विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह बयान सीमा पर सड़क बनाने के भारत के कदम पर दिया।
उन्होंने आगे कहा, ”हाल ही में चीन और भारत के बीच हुई सहमति के अनुसार, किसी भी पक्ष को सीमावर्ती क्षेत्रों में कोई ऐसी कार्रवाई नहीं करनी चाहिए जो स्थिति को जटिल बना दे। हालात को बेहतर बनाने के दोनों पक्षों के प्रयासों को प्रभावित नहीं किया जाना चाहिए।”
भारत और चीन ने 21 सितंबर को वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की ओर मोल्डो में कोर कमांडर स्तर की वार्ता की थी। इस वार्ता के बाद जारी संयुक्त बयान में दोनों देशों ने कहा था कि कई मुद्दों को लेकर सहमति जताई गई है। एलएसी पर और अधिक जवानों को नहीं भेजे जाने, संपर्क मजबूत करने और गलतफहमी तथा गलत निर्णय से बचने पर सहमति व्यक्त की गई है। हालांकि, चीन की धोखेबाजी वाली आदत को जानने वाली भारतीय सेना ने लद्दाख में लंबे समय तक टिकने के लिए सभी तैयारियों को पूरा कर लिया है। पर्याप्त संख्या में सैनिकों, हथियारों की तैनाती कर दी गई है।
वहीं, हाल ही में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सीमा विवाद के संदर्भ में कहा था कि दोनों देश अभूतपूर्व स्थिति से गुजर रहे हैं। एशिया के दो बड़े देशों के बीच रिश्ते कैसे आगे बढ़ेंगे, इस सवाल पर जयशंकर ने कहा था कि भारत और चीन के लिए यह जरूरी है कि वे एक-दूसरे के विकास को समायोजित करने की जरूरत को समझें। विदेश मंत्री ने कहा, ”हम एक तरह से अभूतपूर्व स्थिति से गुजर रहे हैं। लेकिन अगर कोई इसे व्यापक तौर पर देखता है तो मैं कहता हूं कि यह बड़े घटनाक्रम का एक पहलू है जिसके लिए भारत और चीन को बैठकर हल खोजना होगा।”