दिल्ली की एक अदालत ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से सवाल किया है कि उसने अपने पूर्व सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा, एपी सिंह और आलोक वर्मा से करोड़पति मांस निर्यातक मोइन कुरैशी के खिलाफ फरवरी 2017 में दर्ज रिश्वत मामले में पूछताछ क्यों नहीं की।
एफआईआर में सीबीआई ने आरोप लगाया था कि कुरैशी ने एक मांस निर्यातक की अपनी नौकरी के अलावा कुछ नौकरशाहों के लिए एक बिचौलिए के रूप में भी काम किया। एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि कुरैशी ने एपी सिंह की भी मदद की, जो 2012 में सीबीआई प्रमुख के रूप में रिटायर हुए थे।
सीबीआई के विशेष अदालत के न्यायाधीश संजीव अग्रवाल ने एजेंसी से कई सवाल पूछे। उन्होंने कहा, “सीबीआई अपने पूर्व-निदेशकों में से दो की भूमिका से जुड़े मामले में अपने पैरों को क्यों खींच रही है? इससे यह साबित हो सकता है कि उनके संबंध में जांच को आगे बढ़ाने के लिए बहुत उत्सुक नहीं है।”
जज ने कहा कि इस मामले में सीबीआई के पूर्व-निदेशकों में से दो (एपी सिंह और रंजीत सिन्हा) की भूमिका जांच के दायरे में है। इस मामले में ईमानदार जांच की जरूरत है। उन्होंने 26 सितंबर के अपने आदेश में यह बात कही।
जज ने कहा कि एक प्रमुख जांच एजेंसी के रूप में सीबीआई की छवि फिर से देखने योग्य है। एक ही समय में अपने दो पूर्व प्रमुखों के खिलाफ आरोपों की जांच करने के लिए इसे बढ़ाना होगा। जब कोई भी संस्था या संगठन खुद को एक चौराहे पर खड़ा पाता है, तो उसे सही रास्ता अपनाना पड़ता है।
अदालत ने एजेंसी से यह भी जानने की कोशिश की कि उसने संभावित संदिग्धों की तलाशी और हिरासत में पूछताछ जैसी जांच और परीक्षण के तरीकों का उपयोग करके मामले को जांच में तार्किक रूप से क्यों नहीं लाया। कोर्ट ने सीबीआई से पूछा कि क्या जांच को रोकने में वर्मा द्वारा निभाई गई कथित भूमिका की जांच की गई थी। जज ने सीबीाई से पूछा कि क्या निश्चित समयसीमा की अनुपस्थिति में जांच अनिश्चित काल के लिए चलेगी?
अपने जवाब में सीबीआई ने 26 सितंबर को अदालत को बताया कि अब तक 544 दस्तावेज एकत्र किए गए थे और 63 (जिनमें तीन नाम आरोपी हैं) गवाहों की जांच की गई थी। इसमें कहा गया है कि पिछले जांच अधिकारी दविंदर कुमार, पुलिस उपाधीक्षक ने मोइन अख्तर कुरैशी, प्रदीप कोनेरू, आदित्य शर्मा और सतीश बाबू सना को गिरफ्तार करने का प्रस्ताव पेश किया था।
सीबीआई के पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था और प्रस्ताव पर कार्रवाई नहीं की जा सकी। मामले में जांच पूरी करने के लिए कई संभावित गवाहों की जांच होनी बाकी है। अब इस मामले की सुनवाई 27 अक्टूबर को होगी