राजद नेता एवं नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के 10 लाख युवाओं को पहली कैबिनेट में सरकारी नौकरी देने के फैसले का वादा करने पर जेडीयू ने पलटवार किया है। प्रदेश जदयू के मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह ने पूछा है कि बताएं 15 साल के राजद शासन में कितने लोगों को नौकरी दी गई। आरोप लगाया कि तेजस्वी यादव अब दिन में ही सपना देखने लगे हैं। सरकार बनेगी तब न नौकरी देंगे? दिवास्वप्न में आदमी इसी तरह की बहकी बातें करता है।
संजय सिंह ने कहा कि राजद शासन में 1990 से 2005 तक लोक सेवा आयोग द्वारा मात्र 19538 पदों पर नियुक्तियां हुईं। 15 साल में 146 पुलिस उपाधीक्षक , 1146 सब इंस्पेक्टर की बहाली की गई। 15 परिचारी और 7354 सिपाही की बहाली हुई। 1990 से 2005 तक मात्र 35499 शिक्षकों का नियोजन हुआ था।लेकिन नीतीश सरकार द्वारा 15 साल में 153100 लोगों को सरकारी सेवक की स्थाई नौकरी दी गई है । जिसमे पुरुष 95150 और 36785 महिलाएं शामिल हैं। बिहार लोक सेवा आयोग में 16557 नौकरियां दी गई हैं, जिसमें 4881 प्रक्रियाधीन हैं। कर्मचारी चयन आयोग में कुल 64436 लोगों को नौकरियां दी गई हैं । जिसमे 17810 प्रक्रियाधीन हैं। तकनीकी सेवा आयोग में 21946 लोगो नौकरी दी गई है। बिहार पुलिस अवर सेवा आयोग में 1209 पुरुष और 753 महिलाओं को नौकरी दी गई। केंद्रीय चयन परिषद सिपाही भर्ती में 35342 पुरुष और 13937 महिलाओं को नौकरी दी गई है। अभी 49289 प्रक्रियाधीन हैं । 21166 लोगों को अन्य विभाग और सेवाओ में नौकरी दी गई है। कुल मिलाकर 153100 लोगों को नौकरी दी जा चुकी है । जबकि 61491 प्रक्रियाधीन है।
तेजस्वी ने कहा था कि बिहार में बेरोजगारी का आलम यह है कि राजद की ओर से विगत पांच सितंबर को लांच बेरोजगारी हटाओ पोर्टल पर अब तक नौ लाख 47 हजार 324 बेरोजगार युवाओं ने सीधे और 13 लाख 11 हजार 626 लोगों ने टोल फ्री नंबर पर मिस्ड कॉल किया। यानी अब तक कुल 22 लाख 58 हजार 950 लोगों ने निबंधन किया है।
तेजस्वी ने नौकरियों का खाका पेश करते हुए दावा किया कि बिहार में साढ़े चार लाख रिक्तियां पहले से हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, गृह सहित अन्य विभागों में राष्ट्रीय औसत एवं तय मानकों के हिसाब से बिहार में अब भी 5 लाख 50 हजार नियुक्तियों की अत्यंत आवश्यकता है। कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के अनुसार प्रति 1000 आबादी पर एक डॉक्टर होना चाहिए, लेकिन बिहार में 17 हजार की आबादी पर एक डॉक्टर है। इस हिसाब से यहां सवा लाख डॉक्टरों की जरूरत है। उसी अनुपात में सपोर्ट स्टाफ जैसे नर्स, लैब टेक्निशियन, फार्मासिस्ट की जरूरत है। सिर्फ स्वास्थ्य विभाग में ही ढाई लाख लोगों की जरूरत है।