दिल्ली में सभी घरेलू (घरों) व गैर घरेलू उपभोक्ताओं को अब वार्षिक सीवेज प्रदूषण चार्ज देना होगा। चाहे उनके क्षेत्र में सीवर की लाइन बिछी हुई हो या नहीं। हाल ही में हुई दिल्ली जल बोर्ड की बैठक में इस प्रस्ताव पर मोहर लगाई गई है। दरअसल, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने अपने एक आदेश में कहा है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने घर से सीवेज के बाहर निकलने पर या सीवर नेटवर्क से होने वाले प्रदूषण के कारण उसके उपचार के लिए भुगतान के लिए उत्तरदायी है।
अभी केवल उन घरों से सीवेज शुल्क लिया जाता है जिनमें पानी का कनेक्शन है और उन क्षेत्रों में जल बोर्ड का चालू सीवेज नेटवर्क है। जल बोर्ड इन पैसों का उपयोग सीवेज नेटवर्क के रखरखाव व उन्नयन के लिए करता है। अभी कई घर ऐसे हैं जहां सीवेज उत्पन्न होता है, लेकिन वह सीवेज शुल्क का भुगतान नहीं करते क्योंकि उनके क्षेत्र में सीवेज नेटवर्क नहीं है।
श्रेणी के आधार पर
कॉलोनियों की श्रेणियों के आधार पर घरेलू और गैर-घरेलू उपभोक्ताओं से प्रति वर्ष सीवर प्रदूषण शुल्क एकत्र किया जाएगा। दिल्ली में आवासीय कॉलोनियों की आठ श्रेणियां हैं ए, बी, सी, डी, ई, एफ, जी, और एच। जैसे महारानी बाग और एंड्रयूज गंज जैसी कॉलोनियों की ए और बी श्रेणियों में घरेलू उपभोक्ताओं को सीवेज प्रदूषण शुल्क के रूप में प्रति वर्ष 5 हजार रुपये का भुगतान करना होगा। सी और डी श्रेणी में 2 और 1 हजार का भुगतान करना होगा।
इन कॉलोनियों में कम शुल्क
ई और एफ श्रेणियों की कॉलोनियों से 200 रुपए प्रति वर्ष शुल्क लिया जाएगा। जबकि जी और एच श्रेणी के उपभोक्ताओं को 100 रुपये सालाना का भुगतान करना होगा।
बिजली कंपनियां एकत्रित करेंगी
सीवेज शुल्क बिजली वितरण कंपनियों के माध्यम से एकत्र किया जाएगा। जल बोर्ड अधिकारियों के मुताबिक दिल्ली में केवल एक ही सुविधा है जो हर घर में समान रूप से उपयोग की जाती है वह है बिजली। ऐसे में बिजली कंपनियों के पास सबसे बड़ी बिलिंग और संग्रह नेटवर्क है जिसे सीवेज शुल्क के संग्रह के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।
कलस्टर में नहीं
अभी दिल्ली में ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां जल बोर्ड की पानी की पाइपलाइन और सीवर नेटवर्क नहीं हैं। इनमें बड़ी संख्या में अनधिकृत कॉलोनियां और जेजे क्लस्टर आदि शामिल हैं। इन क्षेत्रों में वह सिविक एजेंसियां जो भूमि स्वामित्व रखती हैं सीवेज शुल्क एकत्र करने के लिए जिम्मेदार हैं।