दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने मुख्यमंत्री ने अरविंद केजरीवाल के मॉर्फ्ड वीडियो अपलोड करने वाले अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ दिल्ली पुलिस को एक सप्ताह के अन्दर एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया है।
वकील और कार्यकर्ता अमित साहनी ने पहले केजरीवाल के वीडियो को अपलोड करने और प्रसारित करने के लिए प्रासंगिक प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज करने के लिए दिल्ली पुलिस से संपर्क किया था, लेकिन पुलिस ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की।
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट किशोर कुमार ने गुरुवार को दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणाम के ठीक एक दिन बाद 12 फरवरी, 2020 को अरविंद केजरीवाल को लेकर जानबूझकर और अनुचित रूप से दिखाए गए एक दुर्भावनापूर्ण और अश्लील सामग्री / गीत को अपलोड करने के लिए अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं।
शिकायतकर्ता और वकील अमित साहनी ने तर्क दिया कि उपरोक्त वीडियो 12 फरवरी, 2020 को अपलोड किया गया था और 11 फरवरी, 2020 को दिल्ली विधानसभा चुनाव का परिणाम घोषित हुआ था। इस वीडियो का एकमात्र उद्देश्य संविधान के निर्वाचित मुख्यमंत्री को अपमानित करना था। जो बच्चों के लिए हानिकारक है, जो यह नहीं समझ सकते हैं कि यह मुख्यमंत्री नहीं है। वीडियो को गलत इरादों से बनाया गया है।
साहनी ने तर्क दिया कि गीत के स्वर और तरीके न केवल संवैधानिक रूप से चुने गए मुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा रहे हैं, बल्कि जनता और मतदाताओं को भी अपमानजनक तरीके से संबोधित कर रहे हैं, जिन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में अरविंद केजरीवाल को चुनने के उद्देश्य से आम आदमी पार्टी के लिए मतदान करते समय अपने संवैधानिक अधिकार का इस्तेमाल किया था।
यह भी तर्क दिया गया था कि इस वीडियो के अलावा और भी अपमानजनक सामग्री सोशल मीडिया पर प्रसारित की जाती है, लेकिन बच्चे जो यह पहचानने में असमर्थ हैं कि ये मॉर्फ्ड वीडियो है, वे मॉर्फ्ड वीडियो के गाने में इस्तेमाल किए गए अश्लील और अपमानजनक शब्दों को सकारात्मक तरीके से ग्रहण करते हैं, जैसे गलत तरीके से दिखाए गए वीडियो में वो अरविंद केजरीवाल ने ही गाए हों।
साहनी ने जोर देकर कहा कि केजरीवाल ने वर्तमान कठिन पारंपरिक राजनीति में खुद को स्थापित किया है और विशेष रूप से युवाओं, किशोरों और बच्चों की एक बड़ी संख्या उनके भाषणों का अनुसरण करती है क्योंकि वह एक उत्कृष्ट अकादमिक प्रोफाइल वाले व्यक्ति हैं, जो आईआईटी से पास आउट हैं और भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के वरिष्ठ अधिकारी के रूप में आरामदायक नौकरी छोड़कर समाज सेवा के लिए एक राजनेता के रूप में राजनीति में आए हैं।
सुनवाई के दौरान इस बात पर भी जोर दिया गया कि राजनेताओं की आलोचना करना बहुत आसान है, लेकिन राजनीति में होना और विशेष रूप से स्थापित करियर को छोड़ना बेहद मुश्किल है, लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री ने राजधानी में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दिया है और इसके साथ ही सभी वर्ग के लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाई है।
वकील और कार्यकर्ता अमित साहनी द्वारा दी गई दलीलों से संतुष्ट होने के बाद कोर्ट ने दिल्ली के पश्चिम विहार (वेस्ट) थाना पुलिस को अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम के उपयुक्त प्रावधानों के तहत एक एफआईआर दर्ज करने के लिए का निर्देश दिया है।