नाति-पोतों का ब्याह देखने की ख्वाहिश भला किसके मन में नहीं होती। हालांकि, डायबिटीज और दिल की बीमारियों से जूझ रहे मरीज अक्सर यही कहते फिरते हैं कि सांसों की डोर का इतने लंबे समय तक जुड़े रहना मुश्किल है। ब्रिटेन स्थित लिसेस्टर यूनिवर्सिटी का हालिया अध्ययन ऐसे ही मरीजों की आंखें खोलने वाला है।
इससे स्पष्ट है कि व्यक्ति अगर सिगरेट-शराब से दूर रहे और नियमित रूप से योग-व्यायाम करे तो उसकी उम्र छह से आठ साल तक बढ़ सकती है, फिर चाहे वह गंभीर बीमारियों का ही शिकार क्यों न हो।
शोधकर्ताओं ने ‘यूके बायोबैंक’ से प्राप्त 4.8 लाख वयस्कों के स्वास्थ्य एवं जेनेटिक डाटा का विश्लेषण किया। उन्होंने लगातार छह साल तक सभी प्रतिभागियों की दिनचर्या पर भी नजर रखी। साथ ही नियमित जांच से यह भी पता लगाया कि वे ‘क्रॉनिक डिजीज’ यानी लंबी अवधि तक सताने वाली किन 36 बीमारियों की जद में आते हैं? इससे उनकी जीवन प्रत्याशा पर क्या असर पड़ता है? टाइप-2 डायबिटीज, हृदयरोग, स्ट्रोक, कैंसर, डिमेंशिया, अस्थमा, बेचैनी जैसे शारीरिक एवं मानसिक विकार ‘क्रॉनिक डिजीज’ की श्रेणी में रखे जाते हैं।
योगिनी चूड़ासामा के नेतृत्व हुए इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों की नस्ली पहचान, बीएमआई (कद और वजन का अनुपात) और आर्थिक स्थिति जैसे पैमानों का भी जायजा लिया। उन्होंने पाया कि सिगरेट से तौबा करने पर जीवन प्रत्याशा में सबसे ज्यादा वृद्धि होती है। नियमित रूप से योग-व्यायाम करना और फल-सब्जी, दूध-दही, अंकुरित अनाज से लैस पौष्टिक आहार लेना इस मामले में क्रमश: दूसरे व तीसरे पायदान पर आते हैं। शराब से दूरी को चौथे, जबकि रात में कम से कम आठ घंटे की नींद को पांचवें स्थान पर रखा गया है।
चूड़ासामा के मुताबिक ‘क्रॉनिक डिजीज’ का सामना कर रहे मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हालांकि, इसका यह मतलब नहीं कि वे लंबी उम्र जीने का सपना नहीं पाल सकते। स्वस्थ आदतें अपनाने से उनमें ब्लड शुगर, हृदयगति, रक्तचाप, हार्मोनल असंतुलन की शिकायत दूर हो सकती है। खासकर सिगरेट छोड़ने और योग-व्यायाम करने से। खास बात यह है कि अच्छी आदतें अपनाने की कोई उम्र नहीं होती। जिंदगी का आधा पड़ाव लांघने के बाद भी व्यक्ति सकारात्मक बदलाव लाकर उसके फायदे हासिल कर सकता है। अध्ययन के नतीजे ‘पीएलओएस मेडिसिन’ जर्नल के हालिया अंक में प्रकाशित किए गए हैं।