कोरोना से जंग में वैज्ञानिकों को बड़ी सफलता हाथ लगी है।
ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एंटीबॉडी प्रोटीन से 10 गुना छोटे आकार का एक जैविक अणु ढूंढ निकाला है जो वायरस के शरीर में बिखरे छोटे से छोटे अंश को भी नष्ट करने की क्षमता रखता है। यह अध्ययन सेल पत्रिका में छपा है।
कनाडा स्थित ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ता दल ने सबसे छोटे अणु के जरिए एक दवा तैयार की है, जिसे एबी8 नाम दिया गया है। अग्रणी शोधकर्ता श्रीराम सुब्रह्मयम और उनके दल ने पाया कि एबी8 दवा के जरिए चूहों और हैम्स्टर जीवों को कोरोना वायरस से बचाया जा सका और संक्रमित जीवों का सफल इलाज भी हुआ।
सुब्रह्मयम का कहना है कि सबसे छोटे आकार के अणु से तैयार दवा को न केवल बेहतर तरीके से शरीर के ऊतकों में प्रसारित किया जा सकता है बल्कि इसे कई ऐसे सूक्ष्म मार्गों से भी शरीर में प्रवेश कराया जा सकता है जिनसे आमतौर पर दवाएं नहीं दी जातीं। इससे शरीर के किसी भी हिस्से में मौजूद वायरस को पूरी तरह नष्ट करना आसान होगा।
कोई नकारात्मक असर नहीं-
शोधकर्ता सुब्रह्मयम ने बताया कि यह दवा मानव कोशिकाओं से नहीं बंधती जो कि लोगों में दवा का नकारात्मक असर न होने का संकेत है। एबी-8 का उपयोग न केवल एक कोविड-19 की थेरेपी के रूप में कर सकते हैं बल्कि इसे एक निवारण के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है ताकि लोगों को वायरस से दूर रखा जा सके।
प्लाज्मा का विकल्प –
शोधकर्ता का कहना है कि प्लाज्मा की कम उपलब्धता की स्थिति में एबी8 से मरीज का उपचार करना बेहतर परिणाम दे सकता है। यह दवा शरीर में वायरस को पूरी तरह नष्ट करने में सफल है जिसे प्लाज्मा थेरेपी का विकल्प मान सकते हैं।